एक माह से थमे शादी-ब्याह व मांगलिक कार्य शुक्रवार से फिर शुरू हो जाएंगे। 14 मार्च से चल रहा खरमास 14 अप्रैल को खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही शहर की सड़कों पर बैंडबाजा और बारात के साथ आज मेरे यार की शादी है… सरीखे गीतों का शोर फिर सुनाई देने लगेगा यानी सहालग शुरू हो जाएगी।
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हिंदू नव संवत्सर ‘साधारण 2074’ के अनुसार इस सीजन में देवताओं के सोने तक यानी हरिशयनी एकादशी तक लगभग 43 लग्न मिलेंगी। उसके बाद जुलाई में देव शयन के चलते करीब साढ़े चार महीनों तक विवाह आदि मांगलिक कार्य फिर रुक जाएंगे।
आचार्य प्रदीप ने बताया कि 13-14 की रात करीब तीन बजे मेष संक्रांति होगी। उसके बाद सहालग मिलना शुरू हो जाएगी। नव संवत्सर साधारण 2074 में 4 जुलाई को हरिशयनी एकादशी पर देवता सोने चले जाएंगे, जिसके चलते वैवाहिक लग्न फिर रुक जाएगी।
इसके बाद 31 अक्तूबर को देवोत्थानी एकादशी पर देवता जागेंगे और 16 नवंबर से फिर लग्न मिलना शुरू होंगी। इस बार दिसंबर में खरमास शुरू होने से पहले शुक्रास्त के चलते रुकी सहालगें अगले वर्ष जनवरी, 2018 तक रुकी रहेंगी। इसके बाद फरवरी में ही शादियां हो सकेंगी। ऐसा करीब एक दशक से भी पहले हुआ था, जब जनवरी में सहालग नहीं थीं।
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मई : 4, 6, 7, 8, 9, 11, 12, 14, 15, 21, 22, 26, 27 और 31
जून : 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 17, 18, 22, 23, 27, 28, 29 और 30
जुलाई : 1 और 3
4 जुलाई को हरिशयनी एकादशी से देव शयन
31 अक्तूबर को देवोत्थानी एकादशी पर देवता जागेंगे पर सहालग 16 नवंबर से शुरू होगी।
नवंबर : 16, 17, 19, 20, 21, 22, 23, 28 और 29
दिसंबर : 3, 4, 8, 9 और 10 दिसंबर तक लग्न रहेगी। इसके बाद शुक्रास्त होने और खरमास के चलते सहालग रुकेंगी, जो जनवरी भर रुकी रहेगी।
अगले साल 2018 में बाकी संवत्सर में सहालग
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फरवरी : 7, 10, 12, 13, 18, 19, 20, 23, 24, 25 और 28
मार्च : 2, 3, 5, 6, 7, 8 और 12
इस साल भले ही झमाझम सहालग हो, लेकिन वर्ष 2018 की जनवरी में एक भी लग्न नहीं मिलेगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 14 दिसंबर से हो रहे शुक्रास्त और उसके बाद खरमास के चलते जनवरी 2018 में शादियां नहीं हो सकेंगी। महीने भर सहालग रुकी रहेगी। इसके बाद 3-4 फरवरी शुक्रोदय होगा और 7 फरवरी से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो सकेेंगे। इस दौरान करीब 58 दिनों तक सहालग रुकी रहेंगी।
सतुआई संक्रांति 14 को
आचार्य प्रदीप ने बताया कि 14 अप्रैल को सतुआही संक्रांति मनाई जाएगी। इसी दिन सत्तू दान करना, सेवन करना श्रेयस्कर रहता है।