बिहार सरकर 15वें वित्त आयोग के लिए तय मानकों में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध करेगी. इसके लिए पांच मई को पटना में सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई है. 15वें वित्त आयोग ने राज्यों के बीच कर बंटवारे में 2011 की जनगणना को आधार बनाया है, लेकिन दक्षिण भारतीय राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. दक्षिण भारतीय राज्यों के वित्त मंत्रियों की पिछले महीने तिरूवानंतपुरम में बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि 1971 की जनगणना को ही आधार बनाया जाए.
मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों को एक ज्ञापन तैयार करने का आदेश दिया है, जिसे पीएम मोदी और वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह को सौंपा जाएगा.
दक्षिण भारतीय राज्यों की दलील है कि जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि पर लगाम लगाने में वे सफल रहे हैं. इसलिए अगर 2011 को आधार बनाया गया तो उन्हें कम राजस्व मिलेगा, क्योंकि बिहार और यूपी जैसे राज्यों की जनसंख्या बढ़ी है.
1971 में देश की जनसंख्या में दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी 24 फीसदी से अधिक थी, जो 2011 में घटकर 20 फीसदी रह गई. दूसरी ओर बिहार की जनसंख्या 19991 से 2011 के बीच लगभग 25 फीसदी बढ़ गई. दक्षिण भारतीय राज्यों की आपत्ति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 अप्रैल को ट्वीट कर कहा था कि उनकी सरकार वित्त आयोग से जनसंख्या नियंत्रण में सफल राज्यों को तरजीह देने के लिए कहेगी.
इस ट्वीट के बाद बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड और अन्य दलों ने आशंका जताई है कि वित्त आयोग तयशुदा मानक में बदलाव कर सकता है.
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