स्वामी विवेकानंद जी का जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 12 जनवरी को मनाया जाता है। विवेकानंद जी के सम्मान में इस तिथि को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इनके जन्मतिथि को लेकर मतांतर है। कोलकाता का वेलुर मठ इनका जन्मदिवस इस साल 8 जनवरी को मना रहा है। इसकी वजह यह है कि वैदिक पंचांग के अनुसार इनका जन्म पौष पूर्णिमा के सातवें दिन कृष्ण पक्ष में हुआ था। इसलिए इनका जन्मदिन हर साल इस तिथि के अनुसार भी मनाया जाता है। विवेकानंद जी महज 39 साल की उम्र में दुनिया से विदा हो गए थे। लेकिन इतने कम समय में ही इन्होंने विश्व को भारतीय दर्शन और वेद का ऐसा पाठ पढ़ाया कि दुनिया इनके सामने नतमष्तक हो गई।
1893 ई. में अमेरिका के प्रसिद्ध शिकागो में विश्व धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इसमें दुनिया भर से अलग-अलग धर्मों के विद्वानों के सामने इन्होंने वेदांत का ऐसा ज्ञान दिया कि पूरा संसद तालियों से गूंज उठा और भारतवासियों का मष्तक गर्व से ऊंचा उठ गया।
धर्म संसद में आख्यान के बाद इन्हें अमेरिका के विभिन्न शहरों में धर्म सभाओं में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। करीब 4 साल तक अमेरिका के विभिन्न शहरों में भ्रमण के बाद कोलंबो होते हुए 1897 में विवेकानंद जी स्वदेश लौटे। लेकिन लौटने से पहले अमेरिका में इन्होंने एक ऐसा पाठ पढ़ाया जिसे हर व्यक्ति को समझना चाहिए।
इन्होंने अमेरिका में पुल से नदी में तैरते अंडे के छिलके पर बंदूक से निशाना लगाते हुए लड़कों को देखा जिनका निशान बार-बार चूक जा रहा था। विवेकानंद जी ने बंदूक लेकर एक के बाद एक कई निशाने छिलके पर लगाए। लड़कों ने हैरान होकर विवेकानंद जी से पूछा कि यह कैसे कर लेते हैं आप। विवेकानंद जी ने बताया कि ‘तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम पर लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर रखो, तुम कभी नहीं चूकोगे। हमारे देश में बच्चों को यही सिखाया जाता है।