सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) की 12वीं बोर्ड की बची परीक्षाएं रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड हालात को देखते हुए अपना जवाब दे. सीबीएसई ने भी कहा है कि वह स्थिति को देखते हुए अपने दिशा-निर्देश बताएगा. इस मामले की सुनवाई अब 23 जून को होगी. कुछ अभिभावकों ने कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और 12वीं बोर्ड के बचे हुए पेपर रद्द कराने की मांग की है. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई बोर्ड से जवाब मांगा है.
कोरोनावायरस के चलते मार्च में लॉकडाउन लागू हो गया था और पूरे देश के स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए थे. जिस वक्त लॉकडाउन लागू किया गया, तब बोर्ड के कुछ पेपर बच गए थे. सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड (CBSE Board Exams) के बचे हुए सभी पेपर 1 जुलाई से 15 जुलाई के बीच कराने का फैसला किया है. सीबीएसई के इसी फैसले के खिलाफ 12वीं बोर्ड के कुछ बच्चों के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में कहा गया है कि देश में कोरोनावायरस तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में छात्रों की सुरक्षा खतरे में है. याचिका में मांग की गई कि 12वीं क्लास के लिए अब तक हुए पेपर और बचे पेपर में आंतरिक आकलन के औसत के आधार पर रिजल्ट जारी कर दिया जाए.
याचिका में लाखों बच्चों की सुरक्षा का सवाल उठाते हुये कहा गया है कि परीक्षा में शामिल होने की स्थिति में ये छात्र कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं.
कोर्ट से अपील की गई है कि शेष विषयों की परीक्षा आयोजित करने के संबंधित सीबीएसई की 18 मई को जारी की गई अधिसूचना रद्द की जाए और इसी के आधार पर 12वीं के नतीजे घोषित करने का निर्देश बोर्ड को दिया जाएं.
इतना ही नहीं, याचिका का निबटारा होने तक बोर्ड की अधिसूचना पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया गया है. याचिका के अनुसार कोविड-19 की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ही बोर्ड ने विदेशों में स्थित करीब 250 स्कूलों में 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी थी और प्रैक्टिकल परीक्षाओं के अंकों या आंतरिक आकलन के आधार पर छात्रों को अंक देने का निर्णय लिया था.
अब सीबीएसई कोर्ट को अपने दिशा-निर्देश की जानकारी देगा. इस मामले पर 23 जून को सुनवाई होगी. उसके बाद ही तय हो पाएगा कि परीक्षा रद्द की जाती हैं या कोई नई गाइडलाइन जारी की जाती है.