भगवान को लेकर दुनिया में दो मूलत: प्रकार की सोच रखने वाले लोग हैं। एक लोग आस्तिक यानी ईश्वरवादी होते हैं तो दूसरे नास्तिक यानी अनीश्वरवादी। नास्तिक विचारों वाले लोगों का तर्क होता है कि प्रमाण के साथ बताया जाए कि भगवान का अस्तित्व है। इसी बीच ईश्वर के अस्तित्व को लेकर हावर्ड खगोल भौतिक वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. विली सून ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।
उन्होंने दावा किया है कि एक गणितीय सूत्र भगवान के अस्तित्व का अंतिम प्रमाण हो सकता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड के रहस्य केवल तारों में ही नहीं, बल्कि गणित की बुनियाद में भी लिखे गए हो सकते हैं।
उनके सिद्धांत का केंद्र ‘फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट’ है। आसान भाषा में कहें तो यह सिद्धांत सुझाव देता है ब्रह्मांड के भौतिक नियम इतने सटीक रूप से जीवन का समर्थन करने के लिए कैलिब्रेट किए गए हैं कि यह संयोग से नहीं हो सकता।
गणित के जरिए समझ सकते हैं ब्रह्मांड के नियम: पॉल डिराक
गौरतलब है कि यह सूत्र सबसे पहले कैम्ब्रिज गणितज्ञ पॉल डिराक ने पेश किया थ। सूत्र ये दर्शाता है कि ब्रह्मांडीय स्थिरांक अद्भुत सटीकता के साथ मेल खाते हैं। गणितीय सिद्धांत के जरिए ब्रह्मांड के भौतिक नियमों के संतुलन को समझा जा सकता है।
उन्होंने अपनी किताब में इस बात का भी जिक्र किया है कि किस तरह ब्रह्मांड का निर्माण में गणित का उपयोग किया गया।डॉ. सून ने पॉडकास्ट में डिराक के सिद्धांत का हवाला दिया और भगवान के अस्तित्व के बारे में समझाया। डॉ. सून ने दावा किया कि गणित और ब्रह्मांड के बीच की सामंजस्य है।