आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के सरगना और मुंबई हमलों के मास्टर माइंड हाफिज सईद की नजरबंदी के बाद पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने अपनी संस्थाओं का नाम बदल दिए हैं. यही नहीं हाफिज की गैरमौजूदगी में आतंकी संगठन जेयूडी के काम को उसका बेटा तल्हा सईद देख रहा है.
तल्हा सईद पाकिस्तान में फल फूल रहे आतंकवाद को खाद पानी देने वाला नया चेहरा है. हाफिज सईद के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ तल्हा सईद के सिर पर है. आईएसआई चाहती है कि हाफिज सईद भले नजरबंद रहे, लेकिन उसकी गैरहाजिरी में आतंकवादी गतिविधियां और आतंकवादी भर्ती सहित फंड रेजिंग का काम तल्हा खुद संभलाता रहे.
इसी तल्हा सईद ने 5 फरवरी को लाहौर के नसीर बाग में बुलाई गई रैली में बुरहान वानी और दाऊद इब्राहिम के लिए नारे लगवाए थे. ताल्दा साईद ने नारों में कहा- ‘ चाहे गोली मारो- आजादी, चाहे डंडे मारो- आजादी, हम फिर लेंगे- आजादी, पुलिस बनोगे- ना भाई ना, एसपी बनोगे- नाई भाई ना, टीसी बनोगे- नाई भाई ना, वकील बनोगे- ना भाई ना, जज बनोगे- ना भाई ना, बुरहान बनोगे- हां भाई हां!!, दाऊद बनोगे- हां भाई हां!!’
तल्हा सईद लंबे समय से पाकिस्तान में रैलियां करके लोगों को भड़काता है. साथ ही वो पीओके में कई आतंकवादी कैंप भी चलाता है. फिलहाल हाफिज सईद ने लश्कर ए तैयबा का काम पूरी तरह तल्हा सईद के हवाल कर दिया है.
इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक तल्हा सईद की आतंकवादी ट्रेनिंग भी कराई गई है. खुद उसके चाचा अब्दुर्रहमान मक्की ने उसे ट्रेनिंग दी है. ट्रेनिंग के बाद चार साल पहले तल्हा लश्कर के साथ जुड़ गया. आतंकवादी संगठन चलाने के अलावा तल्हा सईद जासूसी के कॉल सेंटर भी चलाता है. बहावलपुर में बैठे उसके लोग भारत में कॉल करके लोगों को जासूसी करने के लिए झांसे में फंसाते हैं.
पाकिस्तान फिलहाल आतंकवाद पर कार्रवाई करने का दबाव झेल रहा है. इसीलिए उसने हाफिज सईद को नजरबंद कर दिया है, लेकिन अब तल्हा सईद हाफिज के बाहरी काम-काज संभाल रहा है. पाकिस्तान के ऊपर सिर्फ अमेरिकी ही नहीं चीन का भी दबाव है. चीन ने साफ कह दिया कि लंबे समय तक वो अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का साथ नहीं दे सकता है.
पाकिस्तान के छिपे हुए एजेंडा के लिए फिलहाल चीन बड़ा मददगार साबित हो रहा है. इसीलिए बार बार चीन मसूद अजहर पर पाबंदी लगने के बीच रोड़ा साबित हो रहा है. आतंक के मौलाना मसूद अजहर पर भारत संयुक्त राष्ट्र से पाबंदी लगावने को कोशिशों में है, लेकिन 7 फरवरी को एक बार फिर चीन ने इसमें अड़ंगा डाल दिया. खास बात ये कि इस बार भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाबंदी की अपील नहीं की थी, बल्कि ये प्रस्ताव ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र में रखा है.
मसूद अजहर पर पाबंदी के हक में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस साथ मिल चुका है. अमेरिका ने 7 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन चीन ने एक बार फिर प्रस्ताव का विरोध करते हुए 6 महीने के लिए तकनीकी रोक लगा दी. चीन नहीं चाहता कि मसूद अजहर पर सुयंक्त राष्ट्र से पाबंदी लगे. पाबंदी लगने के बाद मसूद अजहर की सारी संपत्ति जब्त हो जाएगी. साथ ही उसकी यात्राओं पर भी पाबंदी लग जाएगी.
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया है. और इसी वजह से पहले अमेरिका के दबाव में मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद को नजरबंद किया गया, फिर अमेरिका ने भारत का समर्थन करते हुए आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में अर्जी दायर कर दी थी.
लेकिन चीन ने इस बार भी चीन अड़ंगा साबित हुआ है. चीन भले दावे दोस्ती के करता हो लेकिन भारत को चीन से भी सावधान रहना होगा. हाफिज सईद की नजरबंदी के बाद चीन पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधी कदमों की तारीफ भी कर चुका है. जबकि हाफिज सईद की नजरबंदी किसी मजाक से कम नहीं और इस मजाक का एक हिस्सा खुद चीन भी है.
चीन एक ओर आतंकवाद से लड़ने की बात कर रहा है और दूसरी ओर आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर यूएन की पाबंदी के खिलाफ अड़ियल रवैया भी अपनाए हुए है. ये शर्मनाक है कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का इकलौता सदस्य है जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन के सरगना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने देना चाहता.