उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती से कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि हाथरस मामले में पीड़ित परिवार के सदस्यों और गवाहों को त्रिस्तरीय सुरक्षा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से पूछा था कि पीड़िता के परिवार और गवाहों को किस प्रकार की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। इसी के जवाब में यूपी सरकार ने सर्वोच्च अदालत में नया हलफनामा दाखिल किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन-स्तरीय सुरक्षा प्रदान की गई है। साथ ही अदालत से हाथरस कांड की जांच पर 15 दिनों की स्थिति रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने के लिए कहा है। सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए शीर्ष कोर्ट की निगरानी में किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से समयबद्ध जांच कराने का आग्रह किया था। प्रदेश सरकार ने मुख्य घटना के बाद हिंसक प्रदर्शनों, दंगों की साजिश रचने और दुष्प्रचार कर सरकार को बदनाम करने की जांच भी केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग की थी। बाद में, राज्य सरकार ने सीबीआइ को को यह केस स्थानांतरित कर दिया, जिसकी जांच भी शुरू हो गई है।
शीर्ष अदालत में दाखिल अनुपालन हलफनामे में योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा है कि राज्य पीड़ित परिवार को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और मामले में गवाहों को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए और पर्याप्त बलों को इसके लिए तैनात किया गया है। पीड़िता के परिवार के सदस्यों और गवाहों को प्रदान की गई सुरक्षा का विवरण देते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि पीड़ित परिवार के घर के आसपास और बाहर सशस्त्र और पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। घर में और बाहरी हिस्से में आठ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने छह अक्टूबर को हाथरस के बूलगढ़ी गांव में अनुसूचित जाति की युवती के साथ हुई घटना को भयावह, झकझोरने वाली और असाधारण बताया था। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से आठ अक्टूबर तक तीन बिंदुओं पर हलफनामा मांगा था। कोर्ट ने जानना चाहा कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा कैसे हो रही है। परिवार ने पैरवी के लिए अब तक कोई वकील किया है कि नहीं और इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की कार्यवाही का दायरा क्या है, उसे कैसे बढ़ाकर प्रासंगिक बनाया जा सकता है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रह्मण्यन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे की ओर से दायर याचिका की वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए कहा था कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले की जांच बिना किसी अड़चन के हो।
बता दें कि हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर 2020 को अनुसूचित जाति की युवती से ज्यादती हुई थी। युवती का पहले अलीगढ़ और बाद में दिल्ली के अस्पताल में इलाज कराया गया। 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। इस मामले में पुलिस चार युवकों को गिरफ्तार कर चुकी है। फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार की एसआइटी और सीबाआइ केस की जांच कर रही हैं।