उच्च न्यायालय ने बुधवार को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में गिरफ्तार छह लोगों में से एक नीलम आजाद की तत्काल रिहाई की मांग याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि वह पहले ही निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर चुकी हैं। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा कि आरोपी को अपनी पसंद के कानूनी व्यवसायी द्वारा बचाव की अनुमति देने से इनकार करना रिहाई का आधार नहीं हो सकता है, क्योंकि अनुच्छेद 22 के तहत उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है। इसके अलावा दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण से जुड़े एक वकील रिमांड आदेश पारित होने पर पहले से ही अदालत में मौजूद था।
पीठ ने कहा वकील से मिलने की अनुमति न देना उसे रिहाई का आधार नहीं हो सकता। जो भी हो जब अदालत ने आदेश पारित किया तो वकील वहां मौजूद था। एफआईआर आपके खिलाफ है, ऐसे किसी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है। आप ट्रायल कोर्ट के सामने जाएं, आपने यह याचिका क्यों दायर की है? जमानत आवेदन ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित है।
यह था मामला
नीलम आजाद को 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा का उल्लंघन करने के आरोप में तीन अन्य आरोपियों सागर, मनोरंजन डी और अमोल शिंदे के साथ गिरफ्तार किया गया था। सागर शर्मा और मनोरंजन डी, सुरक्षा की तीन परतों को पार करने के बाद दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए और एक बड़े सुरक्षा उल्लंघन में रंगीन धुआं छिड़कते हुए, नीलम और अनमोल ने अपनी गिरफ्तारी से पहले समान गैस कनस्तरों के साथ संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
उन्होंने महंगाई और गरीबी जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करने के लिए घुसपैठ की योजना बनाई गई थी। पुलिस ने आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 452, 186, 353, 452, 153 और 34 के तहत आरोप लगाया है।
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