जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल बनते ही मनोज सिन्हा ने सरकार चलाने की कार्यशैली बदल दी है। उनकी कार्यशैली पर एक सक्रिय राजनेता की छाप दिख रही है। वह हेलीकॉप्टर के बजाय कार में चल रहे हैं। हर दिन आठ से दस बैठकें कर रहे हैं। लगातार जनता से मिल रहे हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा कागजों पर नहीं बल्कि जमीन पर देखकर की जा रही है। अभी तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल या उपराज्यपाल बनने वाले व्यक्ति या तो सेवानिवृत्त नौकरशाह होते थे या राजनीति से रिटायर हो चुके लोग। इस पद पर नियुक्त होने वाले राजनीति में सक्रिय पहले व्यक्ति मनोज सिन्हा हैं।
पद पर नियुक्ति के बाद पहली बार श्रीनगर हवाई अड्डे पहुंचे सिन्हा ने राजभवन जाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया। सुरक्षा कारणों का हवाला दिए जाने पर उनका उत्तर था कि कश्मीर में मरने वालों में मेरा भी नाम शामिल हो जाएगा और क्या होगा। लेकिन स्थानीय लोगों में विश्वास जगाने के लिए प्रशासन का उनके पास, उनके बीच जाना जरूरी है। उस दिन वे राजभवन के बजाए गेस्ट हाउस में रुके क्योंकि शपथ ग्रहण से पहले राजभवन में रुकना उन्हें उचित नहीं लगा।
राजभवन से हवाई अड्डे तक ही नहीं बल्कि गांदरबल, कंगन और रियासी के दौरे भी उन्होंने कार से किए। मजे की बात यह है कि अभी तक उनकी सुरक्षा जेड प्लस श्रेणी की नहीं है। उप राज्यपाल बनने से पहले भी उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली थी और वही अभी भी कायम है।
बीते रोज वह औचक निरीक्षण के लिए सचिवालय पहुंच गए। इससे पहले शपथ लेने के अगले ही दिन भी वह श्रीनगर के महाराजा हरि सिंह अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए थे। 2018 में इस अस्पताल में इलाज के लिए लाए लश्कर के आतंकवादी नवीद जट्ट द्वारा दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर भाग जाने के बाद वरिष्ठ अधिकारी भी यहां आने में हिचकिचाते थे।
अस्पताल अधिकारियों की शिकायत पर उन्होंने फौरन कोरोना से निपटने के लिए नियमित नियुक्ति होने तक 200 नर्सिंग कर्मियों की अस्थाई नियुक्ति के आदेश दिए। 19 अगस्त को उन्होंने बारामुला का दौरा किया जहां महज 24 घंटे पहले सुरक्षाबलों की आतंकवादियों से मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए थे। 5 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अधिकारियों को श्रीनगर बारामुला रेल नेटवर्क के बाकी बचे काम को 15 अगस्त 2022 से पहले पूरा करने का टारगेट दिया है। कश्मीर के अन्य हिस्सों को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए करीब 27000 करोड़ की परियोजना की डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। गांदरबल में उन्होंने गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का जायजा लिया और उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड जैसी मूलभूत चीजें मुहैया न कराए जाने पर अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। अभी तक वह सभी विभागाध्यक्षों, जिला उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और कुलपतियों के साथ बैठक कर चुके हैं। सभी कुलपतियों से उन्होंने अपने अगले वर्ष की कार्य योजना पेश करने के आदेश दे दिए।