पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट विवाह काे मान्यता के बारे में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि कम उम्र में की गई शादी को वयस्क पर मान्यता मिलेगी। अगर हिंदू विवाह अधिनियम की धारा पांच के तहत आयु संबंधी प्रतिबंधों का उल्लंघन कर विवाह किया गया है, तो भी दंपती के वयस्क होने के बाद उसे वैधानिक मान्यता मिल जाएगी।
युवक की विवाह के 21 वर्ष से कम आयु होने के कारण अधिकारी ने कर दिया था पंजीकृत करने से मना
इस प्रकरण में याची युवक की आयु विवाह के समय बीस वर्ष थी। उसने चार साल बाद, जब वह एक बच्चे का पिता बन गया तब विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन किया। उसके आवेदन को विवाह पंजीयन अधिकारी ने इस आधार पर निरस्त कर दिया कि विवाह के समय युवक 21 वर्ष का नहीं था। यह विवाह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा पांच का उल्लंघन करते हुए किया गया था। इसके बाद भिवानी के रहने वाले याची दीपक कुमार ने हाई कोर्ट की शरण ली थी।
भिवानी निवासी युवक और उसकी पत्नी ने एक साथ किया था विवाह पंजीकृत कराने के लिए आवेदन
याची ने कोर्ट को बताया कि उसका विवाह 20 नवंबर 2015 को हुआ था। चार साल बाद उसके घर बच्चे का जन्म हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने विवाह का पंजीयन कराने के लिए विवाह पंजीयन अधिकारी के यहां आवेदन किया। लेकिन अधिकारी ने नियमों का हवाला देते हए पंजीयन से इन्कार कर दिया।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर मित्तल ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि यदि आयु के प्रतिबंधों का उल्लंघन कर विवाह किया जाता है तो वह निष्प्रभावी किए जाने योग्य होता है। लेकिन दोनों में से किसी पक्ष ने विवाह को समाप्त करने की मांग नहीं की है। दोनों पक्ष विवाह को पंजीकृत कराने का अनुरोध कर रहे हैं। इसलिए कानूनन यह विवाह वैध है और इसके पंजीकरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
पीठ ने कहा कि पंजीकरण का अनुरोध वयस्क होने पर किया गया है। 2015 में जब लड़के ने विवाह किया, उस समय उसकी उम्र हिंदू विवाह कानून की धारा 5(3) के तहत विवाह की न्यूनतम वैधानिक आयु (21 वर्ष) से कम थी। विवाह पंजीयन का आवेदन 2019 में तब किया गया जब वर-वधू विवाह की वैध आयु हासिल कर चुके थे। पीठ ने विवाह पंजीयन अधिकारी को आदेश दिया कि दो सप्ताह के भीतर याची दीपक कुमार को विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी कर दें।