हरियाणा : जुलाई से आयुष्मान कार्डधारकों का इलाज नहीं करेंगे प्राइवेट डॉक्टर

हरियाणा में में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लाखों लोगों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए सरकार आयुष्मान योजना चला रही है। रोहतक में सोमवार शाम को आईएमए पदाधिकारियों औरसदस्यों ने इलाज नहीं करने के निर्णय पर सहमति जताते हुए प्रदेश कार्यकारिणी के साथ जाने का फैसला लिया है।

आयुष्मान कार्ड योजना के तहत निशुल्क इलाज के भरोसे बैठे प्रदेश के लाखों मरीजों की डॉक्टर्स-डे (एक जुलाई) से परेशानी बढ़ने वाली है। आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज नहीं करने का फैसला लिया है। सरकार की ओर से समय पर इलाज की राशि, पूरा पैसा नहीं मिलने और अन्य मांगों को लेकर निजी अस्पताल संचालकों में रोष है।

प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लाखों लोगों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए सरकार आयुष्मान योजना चला रही है। इसके तहत लाखों लोगों के आयुष्मान कार्ड भी बनाए गए हैं। इससे लोग सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों में भी पांच लाख रुपये तक निशुल्क उपचार ले सकते हैं। सरकार ने सैकड़ों निजी अस्पतालों को पैनल पर लिया है। यहां कार्ड धारकों के लिए अपना कार्ड दिखाकर इलाज लेने की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था एक जुलाई से ठप हो जाएगी। इसकी वजह निजी अस्पताल संचालकों का विरोध है। रोहतक में सोमवार शाम को आईएमए पदाधिकारियों औरसदस्यों ने इलाज नहीं करने के निर्णय पर सहमति जताते हुए प्रदेश कार्यकारिणी के साथ जाने का फैसला लिया है।

अधिकारी के अनुसार
सरकार निजी अस्पताल संचालकों को आयुष्मान योजना के तहत किए गए मरीज के इलाज की राशि का भुगतान नहीं कर रही है। यही नहीं, इसमें कई तरह के फंड काट लिए जाते हैं। एसोसिएशन की अन्य मांगों पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते आयुष्मान कार्ड धारकों का एक जुलाई से प्रदेश में कहीं भी इलाज नहीं करने का फैसला लिया गया है। -डॉ. रविंद्र हुड्डा, अध्यक्ष, आईएमए, रोहतक।

यह हैं आईएमए की मुख्य मांगें

  • प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की आयुष्मान भारत योजना 2018 से अब तक रेट में बढ़ोतरी नहीं की गई है।
  • चिरायु कार्ड व अन्य आयुष्मान कार्ड उच्च आय वर्ग के लिए जारी करे गए मगर, पैकेज में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।
  • वर्तमान परिस्थितियों में आयुष्मान कार्ड के तहत गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक तरीके से इलाज संभव नहीं रहा है।
  • कर्मचारियों के इलाज की पात्रता के लिए अस्पतालों पर थोपी गई आयुष्मान भारत की अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई।
  • भुगतान में कटौती के समाधान के लिए कोई फोन नंबर नहीं हैं।
  • हर दो दिन बाद इलाज बढ़ाने के लिए रिक्वेस्ट डालनी पड़ती हैं। इस व्यवथा को पांच दिन किया जाना चाहिए।
  • पैकेज के प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) 2.2 रेट लागू नहीं हुए।

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