हरियाणा : चुनौतियों से घिरी भाजपा की नैया पार लगाने में जुटे अमित शाह

लोकसभा चुनाव में भाजपा 10 सीटों में से सिर्फ पांच सीटें ही जीत पाई थी। तीन माह बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी है, ऐसे में पार्टी किसी भी किस्म का रिस्क नहीं लेना चाहती।

लोकसभा चुनाव में हरियाणा में आधी सीट गंवाने वाली भाजपा को हार से उबारने का जिम्मा अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल लिया है। तीन हफ्ते में शाह दो बार हरियाणा का दौरे कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश कर चुके हैं। दक्षिण हरियाणा से उन्होंने पिछड़े वर्ग को साधने का प्रयास किया। इससे पहले वह 29 जून को पंचकूला आए और 4500 से ज्यादा कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया।

हरियाणा को गंवाने का रिस्क नहीं उठाना चाहती पार्टी
हरियाणा में शाह के बार-बार आने की बड़ी वजह यह है कि पार्टी किसी भी कीमत पर हरियाणा को हाथ से निकलने देना नहीं चाहती। पार्टी का मानना है कि यदि हरियाणा में विपरीत परिणाम आए तो आगामी सालों में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हरियाणा में नया है नेतृत्व
दूसरी वजह यह है कि हरियाणा में सरकार व भाजपा नेतृत्व नया है। सैनी को कुर्सी संभाले मात्र चार महीने हुए हैं, जबकि बड़ौली को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हुए मात्र एक हफ्ता। इससे पहले सैनी ही प्रदेश अध्यक्ष का भी प्रभार संभाल रहे थे। ऐसी स्थिति में कोई कमी न रह जाए, इसलिए शाह ने कमान खुद ही अपने हाथों में रख ली है।

कई चुनौतियों से जूझ रही पार्टी
शाह रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं। चुनावी मैदान में उतरने से पहले शाह ने चुनौतियों से जूझ रही भाजपा के लिए प्लान तैयार कर लिया है। उनकी रणनीति अगड़ी जातियों के साथ पिछड़ी व दलितों की आबादी को साधने की है। वहीं, भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती अपने कोर वोटर को पार्टी के साथ जोड़ना और सत्ता विरोधी लहर को कम करना है। पिछले दो चुनावों में पिछड़ा वर्ग और दलित वोट भाजपा का कोर वोटर रहा है। उन्हें पता है कि यदि इस वर्ग को साध लिया तो पार्टी को हैट्रिक लगाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। मगर लोकसभा चुनाव के दौरान ओबीसी व दलित वोट बैंक भाजपा से खिसकर कर कांग्रेस की झोली में चला गया था। हालांकि चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने पिछड़ा वर्ग के नायब सिंह सैनी को राज्य का सीएम बना दिया था। मगर फिर भी भाजपा को फायदा नहीं पहुंचा।

लोकनीति सीएसडीएस के मुताबिक लोकसभा चुनाव में भाजपा का 29 फीसदी ओबीसी वोट और दलितों का 34 फीसदी वोट बैंक कांग्रेस के खाते चला गया और इसी वजह से हरियाणा में पार्टी को पांच सीटों का नुकसान भी झेलना पड़ा। इसलिए भाजपा दोबारा से इन वोटों को हासिल करने में जुटी है। शाह की बनाई रणनीति के तहत ही महेंद्रगढ़ में बीसी सम्मेलन कराया गया। शाह ने मंच से कई बार बीसी वर्ग के उत्थान की बात दोहराई। उन्होंने मंच से यह भी कहा कि हमने एक गरीब घर के बीसी के बेटे को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया है। इसके साथ ही मंच से पंचायत व नगर निगम ओबीसी बी वर्ग को पांच फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया।

पिछड़ा वर्ग वोटबैंक पर खास नजर
पिछले दिनों सीएम ने क्रीमिलेयर की सीमा बढ़ाने की घोषणा की थी। उसकी अधिसूचना भी मंच से जारी की गई। हरियाणा में एक अनुमान के मुताबिक राज्य में पिछड़ा वर्ग के करीब 35 से 40 फीसदी आबादी है। अहीरवाल बेल्ट पर पिछड़ों की संख्या अच्छी खासी है। भाजपा का पिछले दस सालों से इस इलाके में कब्जा रहा है। लोकसभा चुनाव में इस इलाके की दोनों सीट जीतने के साथ भाजपा ने पिछले दिनों कांग्रेस की जाट नेता किरण चौधरी को भी अपने पाले में खींच लिया है। वहीं, सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए सरकार पुराने फैसलों की समीक्षा कर रही है। जिन फैसलों से लोगों में नाराजगी थी, शाह के निर्देश पर उन फैसलों में संशोधन किया जा रहा है ताकि लोगों की नाराजगी को कम किया जा सके। पिछले दिनों भाजपा सरकार ने कई फैसलों में बदलाव कर लोगों को साधने की कोशिश की है।

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