नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर केंद्र सरकार के दो मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और रमेश पोखरियाल निशंक ने स्पष्ट कहा है कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
राजधानी में दोनों मंत्री मीडिया से मुखातिब थे। तोमर ने कहा कि सभी राज्य इसे लागू करने को बाध्य हैं। हम इसे शीघ्र ही लागू कराएंगे, मुख्यमंत्रियों से आग्रह है कि इस मुद्दे पर जनता को गुमराह न करें।
पोखरियाल का सवाल था कि विभाजन के समय पाकिस्तान में 23 फीसदी अल्पसंख्यक अब 1 ही प्रतिशत बचे बांग्लादेश में 22 से 7 फीसदी रह गए आखिर ये लोग कहां चले गए?
पत्रकारों से चर्चा करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तोमर ने कहा कि राज्यसभा-लोकसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक अब कानून बन चुका है।
सभी राज्यों में इसे शीघ्र लागू किया जाना चाहिए ताकि जो शरणार्थी हमारे सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं, उनके साथ न्याय हो सके। तोमर ने कहा कि यह कानून पाकिस्तान से उत्पीड़ित होकर आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी जैसे धर्म से जुड़े तमाम लोगों को न्याय दिलाने वाला है।
यह कानून ऐसे लोगों को सम्मान और नागरिकता दिलाएगा। इस कानून की वजह से हिंदुस्तान में रहने वाले किसी भी मजहब के नागरिकों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सर्वोच्च न्यायालय में मामला ले जाने संबंधी खबरों पर उन्होंने कहा कि मीडिया में छपने के लिए कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन कानून के जो जानकार हैं, वे जानते हैं कि यह संविधान संशोधन विधेयक है और यह राज्यों को लागू करना ही होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में यह कानून बनाने का वादा किया था और उसे पूरा किया।