सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इंटरनेशनल ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन सत्य और सेवा को समर्पित था, जो किसी भी न्यायतंत्र की नींव माने जाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये कॉन्फ्रेंस 21वीं सदी के तीसरे दशक के शुरुआत में हो रही है. ये दशक भारत सहित पूरी दुनिया में होने वाले बड़े बदलावों का है. ये बदलाव सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी हर क्षेत्र में होंगे. ये बदलाव तर्क संगत और न्याय संगत होने चाहिए. ये बदलाव सभी के हित में होने चाहिए.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर भारतीय की न्यायपालिका पर बहुत आस्था है. हाल में कुछ ऐसे बड़े फैसले आए हैं, जिनको लेकर पूरी दुनिया में चर्चा थी. फैसले से पहले अनेक तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं. लेकिन हुआ क्या? सभी 130 करोड़ लोगों ने न्यायपालिका द्वारा दिए गए इन फैसलों को पूरी सहमति के साथ स्वीकार किया.
पीएम ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच कई बार देश के लिए संविधान के तीनों स्तंम्भों ने उचित रास्ता ढूंढा है. हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है. बीते 5 वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने, इस परंपरा को और सशक्त किया है. पीएम ने कहा कि भारत में रुल ऑफ लॉ सामाजिक संस्कारों का आधार है.
पीएम ने कहा कि वे भारत की न्यायपालिका का भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं, जिसने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन की गंभीरता को समझा है, उसमें निरंतर मार्गदर्शन किया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि डाटा सुरक्षा, साइबर क्राइम न्यायपालिका के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इनसे निपटने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा कि लोगों को शीघ्र न्याय देने में तकनीक एक हद तक रोल अदा कर सकता है.
पीएम ने कहा कि सरकार का भी प्रयास है कि देश के हर कोर्ट को e-court Integrated Mission Mode Project से जोड़ा जाए. National Judicial Data Grid की स्थापना से भी कोर्ट की प्रक्रियाएं आसान बनेंगी.
कार्यक्रम में चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा है कि दुनिया के किसी भी कोने मे कहीं भी बदलाव हो तकनीक की वजह से उसका असर दूसरे कोने तक जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां समय-समय पर दुनिया के कई हिस्सों से लोग आए उनके साथ-साथ संस्कृति, परम्पराएं और नियम कायदे आए.
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने स्वामी विवेकानंद के विचारों के मुताबिक स्वतंत्रता और कर्तव्यों की अनिवार्यता के बीच तालमेल का पूरा ध्यान रखा. गांधीजी ने भी कर्तव्य को धुरी में रखा. सभी लोग अपने कर्तव्य को निष्ठा और ईमानदारी से पालन करेंगे तो देश सुचारू रूप से चलेगा.