हनुमान अष्टमी पर्व की सबसे ज्यादा धूम उज्जैन में रहती

हनुमान अष्टमी की पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल हनुमान अष्टमी का पर्व 19 दिसंबर गुरुवार को मनाया जाएगा। हनुमान अष्टमी पर्व की सबसे ज्यादा धूम मध्य प्रदेश के मालवा और खासकर उज्जैन में रहती है। मान्यता है कि हनुमानजी ने अहिरावण का वध करने के पश्चात धरती के नाभि स्थल अवंतिकापुरी में आकर विश्राम किया था। इसी उपलक्ष्य में उज्जैन और उसके आसपास के इलाकों में हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे बाद भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने हनुमानजी को वरदान दिया था कि जो भक्त पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को तुम्हारा दर्शन और विधि-विधान से पूजा करेगा और उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी और कष्टों का निवारण होगा।

भगवान श्रीराम लंकाविजय और रावण वध करने के बाद अयोध्या नगरी पर राज करने लगे। एक समय उनके राजदरबार में कुछ ऋषि-मुनि श्रीराम के दर्शन के लिए उपस्थित हुए। सभी ऋषिगण श्रीराम के सम्मुख उपस्थित हुए और उनकी आराधना करते हुए उनका गुणगान किया। ऋषियों ने कहा कि आपने राक्षस रावण का वध किया, इस कार्य में आपको हनुमान ने सहयोग दिया। सृष्टि के असंख्य जीवों ने इस धर्मयुद्ध को अपनी आंखों से देखा।

ऋषियों के वचन सुनकर भगवान राम ने कहा कि हे मुनियों आपने हनुमान के पराक्रम का गुणगान किया, लेकिन लक्ष्मण ने भी युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए पराक्रमी मेघनाथ का वध किया था। यह सुनकर मुनियों ने कहा कि हनुमान का पराक्रम सभी के पराक्रम में सर्वश्रेष्ठ था और उनका साहस विशाल था। श्रीराम ने जब ऋषियों से उसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि हनुमान जब बाल रूप में थे तब एक बार में सूर्य को फल समझकर निगल लिया था। जब सृष्टि में अंधकार छा गया तो इंद्र ने अपने वज्र से उनके ऊपर प्रहार किया, जिससे हनुमानजी के होंठ पर चोट आई और वे एक पर्वत पर गिर गए थे।

उस समय वायु देव उनको लेकर महाकाल वन आए और यहां पर शिवलिंग के सामने भगवान भोलेनाथ की आराधना करने लगे। शिवलिंग के स्पर्श करते ही हनुमान की चेतना वापस लौट गई। इस दौरान महाकाल वन में सभी देवता आए और हनुमानजी को वरदान दिया।

हनुमान के शिवलिंग के स्पर्श और पूजन के कारण शिवलिंग हनुमंत्केश्वर महादेव के नाम से जगत विख्यात हुआ।मान्यता है कि जो भी मनुष्य इस शिवलिंग का पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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