देश में कोरोना के मामले बेकाबू रफ्तार से बढ़ रहे हैं. संक्रमितों का आंकड़ा 40 लाख के पार पहुंच चुका है. वहीं, दिल्ली में भी कोरोना के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं. 4 सितंबर को दिल्ली में 2914 पॉजिटिव केस आए, जो 68 दिनों के बाद सबसे बड़ा उछाल था. वहीं, दिल्ली सरकार का कहना है कि एक हफ्ते से राजधानी में टेस्टिंग रेट डबल हो गई है.
वहीं, कंटेनमेंट जोन की संख्या 949 के करीब पहुंच गई है. जिले के मुताबिक, साउथ वेस्ट-210, नॉर्थ-127, वेस्ट-122, साउथ-119, सेट्रल-86, ईस्ट-78, शाहदरा-63, नई दिल्ली-49, साउथ-ईस्ट-49, नॉर्थ वेस्ट-31 और नॉर्थ ईस्ट में 15 कंटेनमेंट जोन हैं. दिल्ली सरकार के आंकड़े कहते हैं कि बीते 5 दिन में ही 125 नए कंटेनमेंट जोन शामिल हुए हैं.
दिल्ली सरकार के मुताबिक, राजधानी में 30 जून तक कंटेनमेंट जोन की संख्या 436 थी. 31 जुलाई को इनकी संख्या बढ़कर 692 हो गई. 1 महीने बाद 30 अगस्त को कंटेनमेंट जोन की संख्या 833, जबकि 4 सितंबर तक ये आंकड़ा 949 तक जा पहुंचा.
दिल्ली सरकार का तर्क है कि राजधानी में टेस्टिंग बढ़ाई गई है. पहले रोजाना 20 हजार टेस्टिंग होती थी, जो अब बढ़कर 34-35 हजार तक पहुंच गई है. बढ़ते कंटेनमेंट जोन की संख्या पर बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, ‘पहले हर 100 टेस्ट पर इंफेक्शन प्रतिशत सिर्फ 5 था, लेकिन अब ये बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है. दरअसल दिल्ली सरकार कोरोना से सावधानियों को जमीन पर उतारने के मामले में पूरी तरह से फेल है. दिल्ली सरकार को वीकेंड लॉकडाउन की तरफ भी सोचना चाहिए.’
इधर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट नहीं बढ़ रहा है. नेशनल लेवल पर पॉजिटिविटी रेट 7.30 फीसदी के करीब है. दिल्ली में भी पॉजिटिविटी रेट 8 फीसदी के आसपास है.
दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की संख्या को लेकर सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोरोना का उपचार कराने के लिए भर्ती कुल मरीजों में से एक तिहाई दूसरे राज्यों के हैं. कुछ निजी अस्पतालों में बेड फुल हैं. उनमें 60 से 70 फीसदी मरीज दिल्ली से बाहर के हैं. उन्होंने कहा कि हम पहले ही अस्पताल की ऑक्यूपेंसी 80 फीसदी लेकर चले हैं, इसलिए 14 हजार बेड का इंतजाम किया गया है.