स्लाटर हाउस निर्माण मामले में हाई कोर्ट में अब सुनवाई फरवरी में होगी। बुधवार को शहरी विकास सचिव शैलेश बगौली, नैनीताल डीएम सविन बंसल, हरिद्वार के डीएम दीपेंद्र चौधरी, नगर आयुक्त हल्द्वानी सीएस मर्तोलिया, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, नैनीताल पालिका ईओ अशोक कुमार सिंह, नैनीताल व हल्द्वानी के खाद्य सुरक्षा अधिकारी वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पेश हुए।
शहरी विकास सचिव ने कोर्ट में शपथ पत्र दिया। जबकि मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी की ओर से अवमानना पर रोक से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के स्थगनादेश का स्टेटमेंट रिकार्ड पर लिया गया। जिसके बाद कोर्ट ने अधिकारियों को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट प्रदान कर दी है। अगली सुनवाई फरवरी माह में नियत की है।
यह था मामला
2011 में हाई कोर्ट ने खुले में जानवरों के वध करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही स्लाटर हाउस बनाने के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रदेश में स्लाटर हाउस बंद कर दिए गए तो मीट कारोबारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि स्लाटर हाउस बंद होने से उन्हें करोड़ों का नुकसान हो रहा है, जिस पर कोर्ट ने सरकार, शहरी विकास व निकायों के अधिकारियों का जबाब तलब कर लिया। जवाब से संतुष्टï नहीं होने पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी। साथ ही अवमानना के आरोप तय करते हुए जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। इससे खलबली मची तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।