देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में तैयार 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे विशालकाय प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का बुधवार को अनावरण होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटेल की जयंती पर इसका अनावरण करेंगे। इसके लिए वो केवडिया पहुंच चुके हैं।
खास बात ये है कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण के लिए देशभर की 30 छोटी-बड़ी नदियों का जल लाया गया है, जिसमें गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, कावेरी, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी और ब्रह्मपुत्र आदि शामिल हैं। पीएम मोदी इन्हीं 30 नदियों के जल से प्रतिमा के पास स्थित शिवलिंग का अभिषेक करेंगे। इस दौरान 30 ब्राह्मण मंत्रों का जाप करेंगे।
फूलों की घाटी का किया उद्घाटन
पीएम मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण से पहले 17 किलोमीटर लंबी फूलों की घाटी का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने प्रतिमा के पास पर्यटकों के लिए तंबुओं के शहर और पटेल के जीवन पर आधारित संग्रहालय का भी लोकार्पण किया। प्रतिमा के भीतर 135 मीटर की ऊंचाई पर गैलरी बनाई गयी है, जिससे पर्यटक बांध और पास की पर्वत शृंखला का दीदार कर सकेंगे।
बता दें कि सरदार पटेल की इस प्रतिमा की ऊंचाई स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है। प्रतिमा की निर्माण का सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट पर किया गया गया है।
अधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, लौह पुरुष की सबसे बड़ी प्रतिमा के अनावरण के बाद भारतीय वायुसेना के तीन जहाज सलामी देते हुए तिरंगा बनाएंगे। प्रतिमा के निकट ही प्रधानमंत्री यहां ‘वॉल ऑफ यूनिटी’ का भी अनावरण करेंगे।
उसी समय तीन जगुआर लड़ाकू विमान काफी नीचे से उड़ान भरते हुए जाएंगे। ‘वॉल ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन करने के बाद मोदी पटेल को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसी दौरान दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर प्रतिमा पर पुष्पवर्षा करेंगे।
इस अवसर पर गुजरात पुलिस, सशस्त्र और अर्द्धसैनिक बलों के बैंड सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे। इसके साथ ही 29 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से आए कलाकार संगीत एवं नृत्य प्रस्तुति देंगे।
आदिवासियों ने किया बहिष्कार का एलान
इस बीच स्थानीय आदिवासी नेताओं ने बुधवार के आयोजन का बहिष्कार करने की घोषणा की है और दावा किया कि इस परियोजना से प्राकृतिक संसाधनों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचेगा। सरदार सरोवर डैम के निकट के 22 गांवों के सरपंचों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर बताया है कि वह इस कार्यक्रम के लिए उनका स्वागत नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाके में अभी भी स्कूल, अस्पताल और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। मालूम हो कि नर्मदा जिले के कुछ आदिवासी समूहों ने प्रतिमा निर्माण का शुरू से ही विरोध करते रहे हैं।
70,000 टन सीमेंट लगा
मूर्ति के निर्माण में 70,000 टन सीमेंट, 18,500 टन मजबूत लोहा, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसे का प्रयोग किया गया है।