मधुबनी जिले के राजनगर थाने के रघुवीरचक उत्तरी गांव में शत्रुघ्न राम के घर गाजे-बाजे के साथ बारात आई। वधूपक्ष ने बारातियों का दिल खोलकर स्वागत किया। अपने होनेवाले राजकुमार की एक झलक पाने को दुल्हन बेताब थी। लेकिन जैसे ही उसकी नजर दूल्हे पर गई उसे अजीब सी हरकत करता देख दुल्हन को कुछ शक हुआ। फिर जब जयमाला के लिए दूल्हे को किसी तरह कार से निकालकर स्टेज तक पहुंचाया गया।
स्टेज पर चढ़ा दूल्हा शराब के नशे में झूम रहा था और वो होश में नहीं था। इसके साथ ही वो अजीब हरकतें करने लगा, दुल्हन की दोस्तों से गाली-गलौच करने लगा। दुल्हन कुछ देर तक तो जयमाला लेकर खड़ी रही, लेकिन थोड़ी देर के बाद उसने जोर से यह कहते हुए कि इस दूल्हे से मैं शादी नहीं कर सकती, स्टेज से उतर गई और अपने कमरे में चली गई।
उसे घरवालों ने समझाया लेकिन उसने किसी की एक ना सुनी और शादी करने से इन्कार कर दिया। बेटी की जिद देखकर पिता शत्रुघ्न राम ने बेटी राधा कुमारी के फैसले पर सहमति जतायी और दूल्हे के पिता चंद्र राम और बेटे सुमन कुमार के पास गए। सुमन तब भी नशे में धुत्त था और कुछ लोगों से गाली गलौच कर रहा था।
यह देखकर दुल्हन राधा के परिजनों ने शादी में आये करीब 125 बारातियों का भरपूर स्वागत किया। उन्हें खाना खिलाया व आदर के साथ अपने दरवाजे से विदा किया। उसके बाद दूल्हा बने सुमन उसके पिता और भाई को रोक लिया।