सौ वर्षीय बुजुर्ग के घर में गिरने से कूल्हे में फ्रैक्चर हो गया। परिवारजन लखनऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर लेकर आए। उसकी सांस-हृदय गति में दिक्कत मिली। ऐसे में आरआइसीयू में शिफ्ट किया गया। सुधार होने पर आर्थोपेडिक डॉक्टरों ने बुजुर्ग का कूल्हा प्रत्यारोपण कर इतिहास रच दिया। डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन के बाद 24 घंटे में मरीज को उठाकर बैठाया गया। 48 घंटे बाद वॉकर की मदद से चलाया गया। करीब 15 हजार खर्च में बुजुर्ग को नई जिंदगी का जीवनदान मिला।
प्रयागराज निवासी रामधारी सौ वर्ष के हैं। वह 12 फरवरी को घर में गिर गए। परिवारजनों ने स्थानीय अस्पताल में दिखाया। दाहिने तरफ के कूल्हे में फ्रैक्चर निकला। स्थिति बिगडऩे पर 16 फरवरी को रामधारी को ट्रॉमा सेंटर लाया गया। यहां आर्थोपैडिक विभाग में शिफ्ट किया गया। रामधारी के फेफड़े व हृदय का फंक्शन सही नहीं मिला। ऐसे में ऑपरेशन करना मुमकिन नहीं था। लिहाजा, उन्हें पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के आरआइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, उसका ब्लड प्रेशर 114-66, पल्स रेट 74 व एसपीओटू 90 फीसद मिला। ऐसे में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव चौधरी, डॉ. अखिल शर्मा को बुलाया गया। आरआइसीयू की टीम ने चार दिन इलाज कर रामधारी के पल्मोनरी व हार्ट फंक्शन को सही किया। इसके बाद एनेस्थीसिया की टीम ने हरी झंडी दी।
डेढ़ घंटे चला ऑपरेशन
ट्रॉमा सीएमएस व आर्थो सर्जन डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक, 20 फरवरी को रामधारी को ओटी में शिफ्ट किया गया। स्पाइनल एनेस्थीसिया से कमर के नीचे का अंग सुन्न कर दिया गया। उनके कूल्हे में नेक फीमर हड्डी फ्रैक्चर थी। ऐसे में सौ साल के बुजुर्ग में सफल प्रत्यारोपण चुनौती थी। ऑपरेशन में करीब डेढ़ घंटे लगे। केजीएमयू में अभी तक 90 वर्ष तक के मरीज का कूल्हा प्रत्यारोपण हुआ था। वहीं सौ वर्ष का शहर के सरकारी संस्थान में पहली बार हुआ।
24 घंटे में बैठा, 48 घंटे में मरीज खड़ा
डॉ. संतोष के मुताबिक, ऑपरेशन के बाद मरीज को दोबारा आरआइसीयू शिफ्ट किया गया। डॉ. वेद प्रकाश की निगरानी में दोबारा इलाज शुरू हुआ। ऐसे में 24 घंटे बाद मरीज को उठाकर बैठाया गया। वहीं 48 घंटे बाद वॉकर पर चलाया गया। 23 फरवरी को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। प्रत्यारोपण पर करीब 15 हजार खर्च आया।
टीम में ये रहे शामिल
टीम में डॉ. अमित कुमार, डॉ. सचिन, डॉ. अभिषेक, डॉ. विकास, डॉ. सुलक्षणा, डॉ. सुमित प्रकाश, डॉ. कैफी, डॉ. फैजान, डॉ. गौरव, डॉ. ध्यानेंद्र व एनेस्थीसिया की प्रो. विनीता सिंह मौजूद रहे।
हफ्ते में दो दिन 30 मिनट धूप अनिवार्य
डॉ. संतोष के मुताबिक, 60 वर्ष के बाद बुजुर्गों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। उनमें ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो जाती है। 30 से 40 फीसद बुजुर्गों के कूल्हे में फ्रैक्चर हो जाता है। इसमें एक वर्ष में 30 फीसद पांच वर्ष में 70 फीसद की संक्रमण व अन्य बीमारियों से मौत हो जाती है। ऐसे में विटामिन डी की कमी पर ध्यान देना होगा। हर व्यक्ति को सप्ताह में दो दिन 30 मिनट धूप में कपड़े निकालकर शरीर की सिंकाई करनी चाहिए। इसमें 15-15 मिनट में शरीर की पोजीशन को बदल लें।