दुनिया भर में आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. लोगों को अपने सेहत के प्रति जागरुक करने और प्रकृति से जोड़ने के लिए ये दिन मनाजा जाता है. योग हमें बैठने का तरीका, प्राणायाम तथा ध्यान करना सिखाता है. नियमित रूप से योग करने वाले को इसके कई लाभ मिलते हैं. योग से स्वास्थ में लाभ, मानसिक शक्ति, शारीरिक शक्ति, बीमारियों से बचाव और शरीर का शुद्ध होना जैसे कई लाभ हमें योग से मिलते हैं. आइए जानते हैं 21 योगासनों और उन्हें करने के सही तरीके के बारे में.
अर्ध चन्द्रासन- इस आसन को करते समय शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र जैसी हो जाती है इसलिए इसे अर्धचन्द्रासन कहते है. अर्ध का अर्थ होता है आधा और चंद्रासन अर्थात चंद्र के समान किया गया आसन. इस आसन को खड़े होकर किया जाता है. अर्धचन्द्रासन को अंग्रेजी में Half Moon Pose भी कहते है. यह आसन सामान्य स्ट्रेचिंग और बैलेंसिंग पोज़ है जो खासकर कमर के निचले हिस्से, पेट और सीने के लिए लाभदायक है. इस आसन को करने से तनाव दूर हो जाता है.
अर्धचंद्रासन का सही तरीका- इसे करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएं. दोनों हाथ कमर से सटे होने चाहिए और अपनी गर्दन सीधी रखें. फिर धीरे धीरे दोनों पैरों को एक दूसरे से करीब एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी पर रखें. ध्यान रहे कि इस आसन का अभ्यास करते वक्त आपका मेरुदंड सीधा रहे. इसके उपरांत दाएं हाथ को उपर उठाएं और कंधे के समानांतर लाएं. आपकी हथेली का रुख आसमान की ओर होना चाहिए. इसे करते समय ध्यान रहे कि आपका बायां हाथ आपकी कमर पर ही रहे. अब बाई ओर झुके, इस दौरान आपका बायां हाथ स्वयं ही नीचे खिसकता जायेगा. याद रहे कि बाएं हाथ की हथेली को बाएं पैर से अलग न हटने पाए. इसी स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहे, फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आएं. अगर इसे पहली बार कर रहे है तो जितना हो सके उतना ही झुकें. यही प्रक्रिया दूसरी तरफ भी करें.
2-भुजंगासन- इस आसन से रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन बढ़ता है. ये शरीर के सभी अंगों के काम करने की क्षमता बढ़ता है. इसे करने के लिए सबसे पहले अपने पेट के बल से लेट जाएं. अब अपने हथेलियों को अपने कंधे की सीध में ले कर आएं. इस दौरान अपने दोनों पांवों के बीच की दूरी को कम करें साथ ही पांव को सीधा तथा तना हुआ रखें. अब सांस भरते हुए बॉडी के अगले हिस्से को नाभि तक उठाएं. इस दौरान ध्यान रखें कि अपनी कमर के ऊपर ज्यादा स्ट्रेच न आ पाए. अपनी क्षमता अनुसार अपनी इस अवस्था को बना कर रखें. योग का अभ्यास करते समय धीमे धीमे सांस भरें और फिर छोड़ें. शुरुआती मुद्रा में वापस आते समय एक गहरी सांस को छोड़ते हुए वापसी करें. इस तरह इस आसन का एक पूरा चक्र खत्म हुआ. इसे आप अपनी क्षमता अनुसार दोहराएं.
3-बाल आसन- यह आसन आसान होने के साथ काफी लाभदायक भी है. बाल आसन कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और ये आसन कब्ज़ को भी दूर करता है. मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है. इसे करने के लिए अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं, एड़ी पर कूल्हों को रखें, आगे की ओर झुके और माथे को जमीन पर लगाएं. हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, हथेली आकाश की ओर (अगर ये आरामदायक ना हो तो आप एक हथेली के ऊपर दूसरी हथेली को रखकर माथे को आराम से रखें.). धीरे से छाती से जाँघो पर दबाव दें. स्थिति को बनाये रखें. धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे सीधा करें. विश्राम करें.
4-मर्जरी आसन- मर्जरी आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली बनती हैं. इस आसन को करने से पीठ और कमर दर्द की समस्या दूर होती है. अपने घुटनों और हाथों के बल आएं और शरीर को एक मेज कई तरह बना लें. अपनी पीठ से मेज का ऊपरी हिस्सा बनाएं और हाथ और पैर से मेज के चारों पैर बनाएं. अपने हाथ कन्धों के ठीक नीचे, हथेलियां जमीन से चिपकी हुई रखें और घुटनों में पुट्ठों जितना अंतर रखें. गर्दन सीधी नजरें सामने रखें. सांस लेते हुए अपनी ठोड़ी को ऊपर की ओर सर को पीछे की ओर ले जाएं, अपनी नाभि को जमीन की ओर दबाएं और अपनी कमर के निचे के हिस्से को छत की ओर ले जाएं. दोनों पुटठों को सिकोड़ लें. इस स्थिति को बनाएं रखें ओर लंबी गहरी सांसें लेते और छोड़ते रहें. अब इसकी विपरीत स्थिति करेंगे. सांस छोड़ते हुए ठोड़ी को छाती से लगाएं ओर पीठ को धनुष आकार में जितना उपर हो सके उतना उठाएं, पुट्ठों को ढीला छोड़ दें. इस स्थिति को कुछ समय तक बनाएं रखें और फिर पहले कि तरह मेजनुमा स्थिति में आ जाएं. इस प्रक्रिया को पाँच से 6 बार दोहराएं और विश्राम करें.
5-नटराज आसन- नटराज आसन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है. यह आपके शरीर की मुद्रा में सुधार करता है और शरीर के संतुलन को बढ़ाता है. शुरुआत में इसे करने में थोड़ा कठिनाई आ सकती है परंतु इसके नियमित अभ्यास से इसे आसानी से किया जा सकता है. सबसे पहले आराम की मुद्रा में खड़े हो जाएं. शरीर का भार बाएं पैर पर स्थापित करें और दाएं घुटने को धीरे धीरे मोड़ें और पैर को जमीन से ऊपर उठाएं. दाएं पैर को मोड़कर अपने पीछे ले जाएं. दाएं हाथ से दाएं टखने को पकड़ें. बाएं बांह को कंधे की ऊँचाई में उठाएं. सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को ज़मीन पर दबाएं और आगे की ओर झुकें. दाएं पैर को शरीर से दूर ले जाएं. सिर और गर्दन को मेरूदंड की सीध में रखें. इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेण्ड तक बने रहें. इससे आपका बॉडी बैंलेंस बहुत अच्छा होगा और आपका शरीर अधिक से अधिक लचीला बनेगा. इस आसन से हाथ- पैरों में रक्त संचार बेहतर होगा, नर्वस सिस्टम बेहतर होता है.
6-हलासन- इस योग को करने से कब्ज, बदहज़मी और पेट संबंधी सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है. साथ ही पाचन क्रिया भी मजबूत होती है. हलासन में शरीर को हल की मुद्रा में रखा जाता है. इस आसन के लिए शरीर का लचीला होना बहुत आवश्यक होता है. फर्श पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को भी बिल्कुल आराम की मुद्रा में जमीन पर सीधे रखें. लंबी सांस लेते हुए पेट की मांसपेशियों के सहारे अपने पैरों को फर्श से ऊपर उठाएं और दोनों पैरों को 90 अंश के कोण पर खड़े रखें. सामान्य रूप से लगातार सांस लेते हुए अपने कूल्हों और पीठ को हाथ की सहायता से फर्श से ऊपर उठाएं. अब अपने पैरों को सिर के ऊपर से ले जाते हुए 180 डिग्री के कोण पर मोड़े जब तक कि आपके पैरों की उंगलियां फर्श से नहीं छू जाती हैं. आपकी पीठ फर्श पर लंबवत होनी चाहिए. इस मुद्रा में होने में शुरू में आपको मुश्किल जरूर होगी लेकिन थोड़े प्रयत्न के बाद आप इसे आसानी से कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे और आराम से करें. लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखें कि आपको अपने गर्दन पर दबाव नहीं डालना है ना ही इससे जमीन की ओर धक्का देना है. अब सामान्य अवस्था में आ जाएं और शरीर को थोड़ी देर आराम दें. सांस लेते रहें और रिलैक्स महसूस करें.
7-सुखासन- यह आसन तनाव कम करने में मदद करता है. सुखासन करने से एकाग्रता बढ़ती है जिससे आप किसी भी काम को ध्यानपूर्वक कर सकते हैं. सुखासन में दोनों पैरों को एक क्रॉस की मुद्रा में दबाकर रखा जाता है जिसे कमल मुद्रा भी कहते हैं. ध्यान के लिए यह उपयुक्त आसन होता है. समतल जमीन पर आसान बिछाकर पालथी मोड़कर बैठ जाएं. अपने सिर गर्दन और पीठ को सीधा रखें, उन्हें झुकाएं नहीं. कंधों को थोड़ा ढीला छोड़ें. दोनों हाथों को घुटनों पर तथा हथेलियों को ऊपर की और रखें. सिर को थोड़ा ऊपर उठाएं और आंखें बंद कर लें.अब अपना ध्यान अपनी श्वसन क्रिया पर लगाएं और लम्बी और गहरी सांस लेते रहें. इस आसन को कभी भी एकांत में बैठकर 5-10 मिनट तक कर सकते हैं. अगर आप आध्यात्मिक दृष्टि से यह योग कर रहे हैं तो पूर्व या उत्तर दिशा में इसे करें.
8-ताड़ासन- ये आसन कब्ज में लाभकारी है. ये लंबाई बढ़ाने में फायदेमंद है. अगर आपको श्वसन संबंधी कोई बीमारी है तो रोजाना ताड़ासन जरूर करें. इसे करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं. फिर अपने दोनों पैर को आपस में मिलाकर रखें और दोनों हाथों को सीधा कमर से सटाकर रखें. इस वक्त आपका शरीर स्थिर रहना चाहिए. यानी कि आपके दोनों पैरो पर शरीर का वजन सामान होना चाहिए. अब धीरे-धीरे हाथों को कंधों के समानान्तर लाएं. अब दोनों हथेलियों की अंगुलियों को मिलाकर सिर के ऊपर ले जाएं. अब सांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचिए, जब तक आपको कंधों और छाती में खिंचाव महसूस नहीं होने लगे. इसी वक्त पैरों की एड़ी को भी ऊपर उठाएं और सावधानी से पंजों के बल खड़े हो जाएं. अब फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ दें. इस वक्त आपकी गर्दन सीधी होनी चाहिए और हथेलियाँ आसमान की ओर होना चाहिए. ध्यान रखें कि आपकी पैरों की अंगुलियों पर शरीर का संतुलन बना रहे. कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस सिर के ऊपर ले आएं. धीरे धीरे एड़ियों को भी भूमि पर टिका दें और दोनों हाथों को भी नीचे लाते हुए कमर से सटाकर पहले वाली स्थिति याने की विश्राम मुद्रा में आ जाएं. इस आसन को नियमित कम से कम 10 बार करें.
9-वज्रासन- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है. यह एक साधनात्मक मुद्रा है. यह एक मात्र ऐसा आसन है जिसे खाने के बाद भी कर सकते है. इस आसन को दिन या शाम दोनों वक्त कर सकते हैं. वज्रासन करने के लिए किसी साफ़ समतल जगह पर दरी बिछाएं. फिर इस पर घुटनों के बल बैठे तथा पंजों को पीछे फैलाकर एक पैर के अंगूठे को दूसरे अंगूठे पर रख दें. इस मुद्रा में आपके घुटने पास-पास किन्तु एड़ियां अलग-अलग होनी चाहिए. आपका नितम्ब दोनों पंजो के बिच में होना चाहिए और एड़ियां कूल्हों की तरफ. अब अपनी हथेलियों को घुटनो पर रखें. आप अपनी क्षमता के अनुसार वज्रासन का अभ्यास कीजिए. बाद में वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं. वज्रासन करने के लिए भोजन के बाद पहले 5 मिनट का समय लें, फिर इसे करें.
10-शवासन- इसे करते समय आपको रिलैक्स महसूस करना है. ये आसन तनाव दूर करने के साथ हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और दिल की बीमारी में फायदेमंद है. इसे करने के लिए अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं और ध्यान रखे की इस अवस्था में आपके पैर ज़मीन पर बिल्कुल सीधे होने चाहिए. अपने दोनों हाथों को शरीर से कम से कम 5 इंच की दूरी पर रखें. हाथों को इस तरह रखे कि दोनों हाथ की हथेलियां आसमान की दिशा में हो. अब शरीर के हर अंग को आपको ढीला छोड़ना है, और आँखों को भी बंद करना है. हल्की-हल्की साँसे लें. इस वक्त आपका पूरा ध्यान श्वांसों पर होना चाहिए. मन में दूसरे किसी भी विचार को आने ना दें. इस आसान को करते वक्त यदि आपको कमर या रीढ़ में किसी प्रकार की परेशानी महसूस होती है तो घुटने के नीचे कम्बल या तकिया रख सकते हैं.