सेहत की सवारी साइकिल भी महंगाई की चपेट में आ गई है। दाम बढ़ने से दो माह के अंदर 50 प्रतिशत तक साइकिल की बिक्री प्रभावित हुई है। कोरोनाकाल के दौरान सेहत के प्रति लोग जागरूक हुए तो अचानक साइकिल की मांग बढ़ गई थी। फिटनेस सेंटर और जिम बंद थे, ऐसे में लोगों ने साइकिलिंग के जरिये खुद को फिट रखने का प्रयास किया। अब यह मांग एक तरफ जहां महामारी के साथ ही कम हो गई है वहीं दूसरी तरफ कच्चा माल महंगा होने से साइकिल की कीमत 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। जिसका सीधा असर साइकिल के कारोबार पर पड़ा है।
आठ सौ से बढ़कर 2500 तक पहुंचे छोटे बच्चों के साइकिल के दाम: इस समय बाजार में हर उम्र के लोगों के लिए साइकिल मौजूद हैं, लेकिन पिछले दो माह में इनके दाम इतने बढ़ गए हैं कि अब लोग साइकिल खरीदने से गुरेज करने लगे हैं। बच्चों की छोटी साइकिल जो पहले आठ सौ से एक हजार रुपये में आती थी। अब वह 1500 से 2500 के बीच आ रही है। इसी तरह से बड़ों की समान्य साइकिल जो 3400 में आती थी, अब चार हजार से 4200 रुपये में मिल रही है। इसी तरह पांच हजार रुपये वाली रेंजर साइकिल छह हजार में तथा गियर व डिस्क ब्रेक वाली आठ हजार रुपये की साइकिल 9500 रुपये में मिल रही है।
यूक्रेन संकट के कारण बढ़े दाम: शहर के रेती रोड स्थित साइकिल कारोबारी स्नेहांशु गुप्ता बताते हैं कि पहले जनवरी के पहले प्रतिदिन दस साइकिल बिकती थी। आज घटकर पांच हो गई है। जिसे जरूरी है वही साइकिल ले रहा है। एक जुलाई से स्कूल खुलने पर बिक्री सामान्य होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि यूक्रेन संकट के कारण स्टील के दाम तथा प्लास्टिक, रबर सहित ट्रांसपोटेशन में वृद्धि होने का सीधा असर साइकिल के दाम पर पड़ा है। कारोबारी शैलेष जायसवाल के मुताबिक पहले आमतौर पर प्रति माह पांच से साढ़े पांच सौ साइकिल मंगाते थे। जब से बिक्री घटी है तीन सौ साइकिल मंगा रहे हैं।
लुधियाना से आती है साइकिल: देश में साइकिल उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र लुधियाना है। वहीं से पूरे देश में साइकिल की आपूर्ति होती है। साइकिल कारोबारी बताते हैं कि लुधियाना में भी कच्चे माल के दाम बढ़ने से उत्पादन घटने और मूल्य बढ़ने से पिछले दो से तीन महीने में उत्पादन पर लगभग 50 प्रतिशत असर पड़ा है।