टीवी पर अनुष्का शर्मा को अक्सर लोगों से पूछते सुना होगा कि क्या आपके टूथपेस्ट में नमक हैं ? बता दें, टूथपेस्ट का रंग लाल हो या सफेद, कोई फर्क नहीं पड़ता। बस इसका स्वाद मीठा होना चाहिए।टूथपेस्ट खरीदते समय लोग अक्सर इसी बात पर ध्यान देते है। मगर क्या एक अच्छे टूथपेस्ट खरीदने के लिए इतना जानना काफी है? दांतों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए टूथपेस्ट प्राथमिक उत्पाद है, इसलिए आपको टूथपेस्ट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और इसके फायदे व नुकसान के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
सेंसिटिव टूथपेस्ट क्या है
दस में से एक भारतीय दांतों में संवेदनशीलता की वजह से होने वाले दर्द से पीड़ित है। इसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से दोगुनी है। अधिक गर्म और ज्यादा ठंडा भोजन लेने की वजह से दांतों में दर्द होने लगता है। ऐसे दांतों के लिए बने खास टूथपेस्ट में पोटैशियम नाइट्रेट होता है, जो दांतों को सुन्न कर उन्हें आराम पहुंचाता है, मगर यह दांतों का इलाज नहीं करता, बल्कि दर्द से राहत देता है। इस समस्या के लिए आप डेंटिस्ट से मिलें।
दांतों की सफेदी के लिए
लंबे समय तक चाय-कॉफी पीने और स्मोकिंग करने से दांतों पर पीलापन आ जाता है। ऐसे में दांतों को चमकाने का काम करता है व्हाइटनिंग टूथपेस्ट। इस तरह के टूथपेस्ट में ब्लीचिंग एजेंट इस्तेेमाल किए जाते हैं, जैसे बेकिंग सोडा या हाइड्रोजन पेरोक्साइड। लेकिन लंबे समय तक इस टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते रहने से दांत संवेदनशील हो सकते हैं। इसलिए इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना सही रहेगा।
कैविटी से लड़ने वाला टूथपेस्ट
1960 में अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन ने इस टूथपेस्ट को स्वीकृति दी थी। इसमें फ्लोराइड मुख्य घटक होता है, जो कैविटी से रक्षा करते हैं। लेकिन आपको सुबह आैर रात सोने से पहले ब्रश करना होगा, तभी कैविटी से छुटकारा मिलेगा। लेकिन छह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस तरह का टूथपेस्ट हानिकारक हो सकता है, क्योंकि वे अक्सर टूथपेस्ट निगल जाते हैं।
टार्टर कंट्रोल टूथपेस्ट
खाने के बाद दांतों पर भोजन की बारीक परत जमा हो जाती है, जिसे दांतों का मैल यानी टार्टर कहते हैं, इसलिए अक्सर डॉक्टर खाने के बाद अच्छी तरह से कुल्ला करने की सलाह देते हैं। ऐसे में अगर दांतों की सही तरीके से सफाई न हो, तो दांत खराब होने लगते हैं। इस समस्या के लिए टार्टर कंट्रोल टूथपेस्ट फायदेमंद होते हैं। इस टूथपेस्ट में इस्तेमाल सोडियम फ्लोराइड मुख्य घटक होता है, जो दांतों के मैल को साफ करता है। लेकिन हर बार ब्रश करना संभव नहीं है, ऐसे में खाने के बाद फ्लॉसिंग करना या कुल्ला करना अच्छा विकल्प हो सकता है।टूथपेस्ट चुनते समय ध्यान दें
हम सभी चाहते हैं कि टूथपेस्ट का स्वाद अच्छा हो और उसके साइड इफेक्ट्स कम या फिर न के बराबर हो, जिससे कि हम टूथपेस्ट का अधिक इस्तेमाल कर सकें। जैसा कि हम जानते हैं कि टूथपेस्ट का बुनियादी काम कैविटी से लड़ना और उससे हमारे दांतों का बचाव करना होता है। लेकिन इसके अलावा टूथपेस्ट चुनते हुए कुछ अन्य चीजों के बारे में भी हमें पता होना चाहिए, जैसे कि टूथपेस्ट इंडियन डेंटल एसोसिएशन से प्रमाणित होना चाहिए। प्रोडक्ट की सील चेक करें।
टूथपेस्ट, जिनमें ट्राइक्लोजन जैसे केमिकल हों, उन्हें खरीदने से बचें। ट्राइक्लोजन जिंजीवाइटिस और प्लाक से बचाव करता है। वहीं दूसरी ओर ट्राइक्लोजन को ब्रेस्ट, ओवेरियन और टेस्टिकुलर कैंसर से भी जोड़ा जाता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप नेचुरल चीजों से बने टूथपेस्ट को ही चुनें या डॉक्टर की सलाह पर सही टूथपेस्ट लें। यदि आपको कैविटी की समस्या है, तो आपको उसके लिहाज से ही टूथपेस्ट चुनना चाहिए।
-टूथपेस्ट में इस्तेमाल सोडियम फ्लोराइड में दांतों की कैविटी से लड़ने की क्षमता होती है। यह दांतों को मजबूत बनाता है और दांतों पर अम्लीय खाद्य पदार्थों से होने वाले नुकसान से भी बचाता है। इन कारणों से फ्लोराइड को टूथपेस्ट में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
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