सीबीआई में जारी विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और गुरुवार को एक बार फिर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आलोक वर्मा के सीलबंद जवाब के बाद सुनवाई शुरू की।
इस दौरान कोर्ट में वर्मा के वकील फली नरीमन ने कहा कि सीबीआई चीफ को इस तरह छुट्टी पर नहीं भेजा जा सकता।
वहीं नारिमन ने कहा, ‘पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने जो पूछा था, उससे उनके मुवक्किल (आलोक वर्मा) का लेनादेना नहीं।’ उन्होंने एक पुराने आदेश का हवाला दे कहा कि कुछ भी कोर्ट में दाखिल होते ही सुनवाई पर आने तक प्रेस को उसे पब्लिश करने से रोकने पर विचार हो सकता है।
नारिमन ने आगे कहा, ‘जस्टिस कपाड़िया की संविधान पीठ ने पूर्व में एक फैसला दिया था कि प्रेस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती लेकिन लंबित मामलों की रिपोर्टिंग को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। कोर्ट उस फ़ैसले के आधार पर कोई आदेश देने पर विचार कर सकता है।’ इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम इस पहलू पर बिल्कुल विचार नहीं कर रहे हैं’
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सीवीसी के सवालों पर वर्मा का जवाब मीडिया में छापे जाने को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई ने आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति उनके वकील फली नारिमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी।
आलोक वर्मा मामले में जल्द फैसला चाहते हैं सीबीआई अफसर
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जल्द से जल्द भ्रष्टाचार के मामले में छुट्टी पर भेजे गए आलोक वर्मा के मामले पर फैसला सुना देना चाहिए। चाहे उनके खिलाफ आगे की जांच हो या फिर उन्हें फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार सौंपा जाना हो, जो भी हो तत्काल हो जाए। एक महीने से अधिक समय से यह मामला अधर में लटका हुआ है।
सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में आलोक वर्मा के खिलाफ आरोपों की आगे गहराई से जांच से जरूरत बताई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा से सफाई देने को कहा था। आलोक वर्मा की ओर से जवाब भी दाखिल किया जा चुका है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के लिए फैसला सुनाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। यदि सुप्रीम कोर्ट सीवीसी की रिपोर्ट के आधार पर आलोक वर्मा के खिलाफ आरोपों की आगे की जांच का आदेश देता है, तो आलोक वर्मा की वापसी मुश्किल हो जाएगी।