मुंबई में लॉकडाउन में फंसे जिन प्रवासी श्रमिकों ने कभी एयरपोर्ट नहीं देखा था। वह यकीन नहीं कर पा रहे थे कि सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के प्रयास से वह हवाई जहाज का सफर कर मात्र दो घंटे में मुंबई से लखनऊ पहुंच जाएंगे। चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाहर निकलते ही सुरक्षित अपने घर लौटने की खुशी से उनकी आंखों की चमक बढ़ रही थी।
लखनऊ उतरते ही परिवार सहित आए प्रवासियों ने अमिताभ बच्चन का शुक्रिया कहा। मुंबई में ड्राइवर इस्लाम तो परिवार के 22 सदस्यों के साथ लखनऊ आए। बोले सात जून को अमिताभ जी जिस ट्रेन से भेजने वाले थे वह निरस्त हो गई। अमिताभ जी ने तब कहा कोई बात नहीं अब फ्लाइट से भेजेंगे। उन्होंने यह कर दिखाया।
अमिताभ बच्चन और उनके दो सहयोगी ट्रस्टों ने 180 सीटों वाला विमान मुंबई से लखनऊ के लिए बुक किया था। इस विमान से चार छोटे बच्चों सहित 184 प्रवासी और उनके परिवारीजन लखनऊ पहुंचे। रशिदा बताती हैं कि फ्लाइट में साफ सफाई बहुत रहती है। पहली बार देखा कि आसमान से नीचे की दुनिया बहुत छोटी दिखती है। अमिताभ बच्चन की वजह से हमको फ्लाइट में बैठने का मौका मिला।
टेलरिंग का काम करने वाले उन्नाव मियांगंज के इलियास ने लखनऊ आने के लिए कई बार ट्रेनों में प्रयास किया लेकिन सफल न हुए। बोले अमिताभ बच्चन को जितनी दुआएं दूं उतनी कम है। गोंडा निवासी अब्दुल जलील खां बांद्रा की मस्जिद में इमाम हैं। वह परिवार के 16 सदस्यों को लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचे तो पता चला कि अमिताभ बच्चन स्पेशल ट्रेन रद हो गई। प्लेटफार्म पर पड़े ही थे कि किसी ने बताया अमिताभ बच्चन जहाज से भेजेंगे। पहली बार हमको जहाज में बैठना नसीब हुआ। सोचा न था कि अमिताभ बच्चन जैसा नेक बंदा हमारी इतनी मदद करेगा।
मुंबई के वर्ली में ड्राइविंग करने वाले प्रयागराज निवासी मो. इसरार ने टे्रन से आने के लिए फार्म भरा। ट्रेन कैंसल हो गई तो इसरार मायूस हो गए। किसी ने जब कहा कि अमिताभ बच्चन फ्लाइट से भेजेंगे। यकीन तो नहीं हुआ कि ट्रेन से नहीं हुआ तो फ्लाइट से कैसे होगा। लेकिन गुरुवार को माहिम और हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के सहयोग और अमिताभ बच्चन के प्रयासों से मैं आ गया।
मुंबई के धारावी में रहने वाली अल्फिया बताती हैं कि यदि अमिताभ बच्चन न होते तो शायद वह अपने घर प्रयागराज नहीं लौट पातीं। वो इंसान के रूप में फरिश्ता हैं। स्टीकर बनाने वाले मो. कासिम बच्चों व पूरे परिवार के साथ लखनऊ पहुंच गए। बाहर खड़े होकर प्रयागराज जाने के लिए तैयार कासिम कहते हैं कि तीन महीने से वहां फंसा था। ट्रस्ट और अमिताभ बच्चन का शुक्रिया। जिनके प्रयासों से मैं आ गया।
धारावी में रहने वाले अब्दुल शकील की कपड़े की दुकान है। परिवार के 20 सदस्यों को लेकर वह लखनऊ पहुंचे। बोले कि मकदूम शाह और हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के साथ अमिताभ बच्चन के प्रयासों से हम आराम से आ गए।
सोनू सूद और अमिताभ की मेहरबानी
मुंबई की धारावी के रहने वाले आदिल सैयद लखनऊ पहुंचते ही भावुक हो उठे। बोले सोनू सूद और अमिताभ जी की मेहरबानी। जो हम लोग अपने घर पहुंचे। अमिताभ जी को शुक्रिया बोलने के लिए मेरे पास को शब्द ही नहीं हैं।