सावन का महीना भोलेनाथ का मन जाता है और इस महीने में भगवान शिव का पूजन किया जाता है. ऐसे में 17 जुलाई से श्रावण मास की शुरूवात हो चुकी हैं और हिंदूधर्म में सावन माह को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माह माना जाता हैं. आप सभी को बता दें कि शिव की पूजा अर्चना इस माह में करने से भक्तों को विशेष फल और लाभ की प्राप्ति होती हैं. वहीं सावन के 30 दिन भगवान शिव के प्रति श्रद्धा से समर्पण का उत्तम समय माना जाता हैं इसमें भी सबसे उत्तम हैं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी मंगलवार 30 जुलाई यानी की आज सूर्योदय के पूर्व से ही त्रयोदशी का शुभ समय आरम्भ हो गया हैं. इस दिन के 3:40 बजे तक आर्द्रा नक्षत्र में विशेष फलदायी होगा और इसमें निशीरथ पूजा मतलब की रात्रि पूजा का अपना महत्व होता हैं.

कहा जाता है ज्योतिष के मुताबिक कल्याणार्थी जन रात्रि वेला में जागरण करके श्री शिव की भक्ति करते हैं शिव और देवी मां पार्वती के प्रिय इस तिथि को व्रत रखने और ग्यारह जोड़ा बेल पत्र चढ़ाने से लड़के लड़कियों का शीघ्र और मनोनुकूल विवाह हो जाता हैं और भगवान शिव ही ऐसे एक मात्र देव हैं जिनके पूरे परिवार की एक साथ पूजा होती हैं, क्योंकि उनका परिवार द्वंद में भी निर्द्वंद हैं कार्तिकेय जी का मयूर शिव जी के सर्प का भक्षण करना चाहता हैं और सर्प गणेश जी के मूषक को. वहीं दूसरी ओर माता जी का शेर उनके स्वामी के बैल को खाने दौड़ता हैं. कहा जाता है एक स्त्री स्वरूपा गंगा सिर पर विराजमान हैं,
तो दूसरी पार्वती पाश्र्व में और प्रतिक्षण द्वंद हैं फिर भी शिव जी उससे परे निर्द्वंद हैं हर हैं मतलब दुख दूर करने वाले हैं इसलिए वर्ष के 365 दिनों में से इकट्ठे 30 दिन श्रद्धा के साथ श्री शिव को समर्पित कर हमे भी अभाव के दुष्प्रभाव से दूर निर्द्वंद होना चाहते हैं वही शिव भक्त शिव की शरण में जाते हैं. ऐसे में आज के दिन शिव का रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती हैं इस कारण आज के दिन उनका पूजन करना चाहिए.
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