सावधान! कुछ देर के लिए स्मार्टफोन को दूर रख दीजिए, वरना…

जैसे-जैसे सोशल मीडिया का दायरा बढ़ा, मोबाइल फोन उपयोग में समय भी अधिक खपाया जाने लगा। सर्वे बता चुके कि युवा रोजाना तीन से चार घंटे का समय अपने मोबाइल फोन पर बिता रहे। शायद आप नहीं जानते होंगे कि आपके मोबाइल फोन से एक ऐसी खतरनाक लाइट निकलती है जो आपके आंखों की राेशनी तक छीन सकती है। जितनी ज्यादा देर फोन पर बिजी रहेंगे, बीमारी की चपेट में आने की आशंका उतनी ही ज्यादा रहेगी।  

जान‍िए कैसी है यह खतरनाक लाइट
मोबाइल फोन से निकलने वाली नीले रंग की रोशनी सामान्य नहीं होती। यह  बेहद खतरनाक है। दिन में तो सूरज की रोशनी होने के कारण यह सीधे नहीं दिखती। रात को फोन इस्तेमाल के दौरान यह नीली रोशनी सीधे रेटिना पर असर डालती है। चीन में हुए एक शोध में साबित हो चुका है क‍ि एक महिला रोजाना सोते वक्त और सोकर उठने के तुरंत बाद फोन का इस्तेमाल करती थी। एक साल में उस महिला का कॉर्निया इसी नीली लाइट के कारण क्षतिग्रस्त हो गया। इसके अलावा नेत्ररोग विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल स्क्रीन पर लगातार देखते रहने से आंखों का ब्लिंकिंग रेट कम हो गया है। सामान्य तौर पर प्रति मिनट 12 से 14 बार आंखें ब्लिंक करती हैं, लेकिन मोबाइल स्क्रीन पर बने रहने पर ब्लिंकिंग रेट छह से सात हो जाता है। इससे आंखों में ड्राइनेस बढ़ रही है और आंखें कमजोर हो रही हैं।

20-20-20 का  फार्मूला अपनाएं 
आंखों काे सलामत रखना है तो 20-20-20 का फार्मूला अपनाएं। मसलन, अधिकतम 20 मिनट से ज्‍यादा वक्‍त तक फोन का इस्‍तेमाल न करें। इसके बाद कम से कम 20 सेकेंड के लिए रुकें जरूर। फोन या डेस्‍कटाप से निगाह हटाएं। टीवी आदि की स्‍क्रीन बीस फीट की दूरी पर रहेगी तो आंखें सलामत रहेंगी।

यह भी कम नुकसानदेह नहीं 

मोबाइल से निकलने वाली इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगें हमारे स्वास्थ्य  लिए नुकसानदेह हैं। इन किरणों के कारण हमारी याददाश्त और सुनने की शक्ति प्रभावित हो सकती है। इससे निकलने वाले रेडिएशन के कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। मोबाइल फोन और उसके टावरों से होने वाले रेडिएशन से नपुंसकता और ब्रेन ट्यूमर हो सकता है।

जानिए कैसे कम हो खतरा 
जब आपकी स्क्रीन पर दिखे कि सिग्नल पूरे हैं, तभी फोन का इस्तेमाल करें। सिग्नल कमजोर होने पर इसका असर रेडिएशन के रूप में पड़ता है इस दौरान मोबाइल को सिग्नल लिए मशक्कत करनी पड़ती है। कई शोधों में भी यह सामने आया है कि रेडिएशन का खतरा कमजोर सिग्नल के कारण ज्यादा होता है। पैंट के आगे के पॉकेट में फोन रखने से बचें, इससे नपुंसकता का खतरा होता है। इसके अलावा इसे दिल के पास न रखें और रात को सोते वक्त तकिये के नीचे तो कतई न रखें। तकिये के नीचे रखने से इसके रे‍डिएशन के कारण याददाश्त कमजोर हो सकती है। इसके अलावा फोन के ज्यादा गर्म होने की वजह से कई बार आग लगने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। बात करते समय फोन काे शरीर से दूर रखें। इससे रेडिएशन से कुछ हद तक बचाव संभव हो सकेगा। इसके लिए ईयर फोन का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। कोशिश कीजिए क‍ि अधिकतम बातचीत मैसेज व चैटिंग के जरिए हो।

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