साल का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण होगा जो पंचांग के अनुसार 26 मई 2021 को लगेगा. ग्रहण के समय चंद्र ग्रहण पीड़ित हो जाता है. सूर्य और चन्द्रमा के बीच में जब पृथ्वी आ जाती है तो ये तीनों एक सीधी लाइन में होते हैं. इसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस वर्ष के चंद्र ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा जा रहा है. उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी, चंद और सूर्य एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं. इसीलिए इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. भारत में मई में लगने वाले ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी लगभग 3,84,403 किलोमीटर है.
सूतक काल ग्रहण के दौरान सूतक काल का विशेष महत्व बताया गया है. चंद्र ग्रहण जब लगता है तो सूतक काल 9 घंटे और सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटे पूर्व आरंभ होता है. ग्रहण के दौरान जब सूतक काल मान्य होता है तो सूतक काल के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है. इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं 26 मई को लगने वाले चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा. क्योंकि इसे उपछाया चंद्र ग्रहण माना जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि जब उपछाया चंद्र ग्रहण होता है उसमें सूतक काल के नियमों के पालन की आवश्यकता नहीं पड़ती है. सूतक काल में घर में ही रहने की सलाह दी जाती है. गर्भवती महिलाओं को विशेष नियमों का पालन करने की भी सलाह दी जाती है. इसके साथ ही छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. सूतक काल में भोजन नहीं बनाना चाहिए. इस दौरान किसी भी नए कार्य को नहीं करते हैं. ग्रहण के बाद स्नान करने के बाद पूजा करनी चाहिए.