साल का तीसरा चंद्रग्रहण लग चुका है। इस ग्रहण का अद्भुत नजारा यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिलेगा। ये उपछाया चंद्रगहण भारत में नहीं दिखेगा। ऐसे में अगर आप इस अद्भुत नजारे को देखना चाहते हैं, तो आप इसे लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से देख सकते हैं। भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर शुरू होकर 11 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगा। यह ग्रहण कुल 02 घंटे 43 मिनट 24 सेकंड तक रहेगा। इसका प्रभाव 09: 59 पर सबसे अधिक देखने को मिलेगा। बता दें कि पिछले एक महीने के भीतर तीसरी बार ग्रहण लग रहा है। इससे पहले 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था। वहीं 5 जून को चंद्र गहण लगा था। दोनों ग्रहण भारत में दिखाई दिए थे।
– जब चांद पर पृथ्वी के बीच के हिस्से की छाया पड़ती है तो उसे अंब्र (Umbra) कहा जाता है। अगर चांद के बाकी भाग पर पृथ्वी के बाकी हिस्सों की छाया पड़ती है, तो उसे पिनंब्र (Penumbra)कहा जाता है। बता दें कि आज गुरुपूर्णिमा भी (Guru Purnima) है।
-बता दें कि लास एंजिल्स में चंद्र गहण चार जुलाई को स्थानीय समयानुसार 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा और 10 बजकर 52 मिनट तक दिखाई देगा। केपटाउन में पांच जुलाई को स्थानीय समयानुसार ग्रहण सुबह 5 बजे तक खत्म होगा। इसके 5 महीने 25 दिन बाद 30 नवंबर को चंद्रग्रहण लगेगा। वहीं 14 दिसंबर 2020 को पूर्ण सूर्यग्रहण लगेगा, जो भारत में नहीं दिखेगा।
भारत में नहीं दिखेगा चंद्रगहण
उपछाया चंद्रगहण भारत में नहीं दिखेगा। यह दक्षिण एशिया के कुछ इलाकों समेत अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखेगा। पिछले एक महीने के दौरान तीसरी बार ग्रहण लग रहा है। इससे पहले 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था। वहीं 5 जून को चंद्र गहण लगा था। दोनों ग्रहण भारत में दिखाई दिए थे।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण
उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद का कोई भी हिस्सा ढका हुआ नहीं दिखाई देता। इस दौरान पृथ्वी की छाया चांद के सिर्फ थोड़े से हिस्से पर पड़ेगी। ऐसे में चांद पर कुछ समय के लिए थोड़ा धूमिल छाया दिखेगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी लाइन में न होकर कुछ इस तरह का कोण बनती है कि पृथ्वी की हल्की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस प्रकिया में चंद्रमा का कुछ हिस्सा धूमिल सा दिखाई देने लगता है।
क्या होता है ग्रहण
ग्रहण सामान्य खगोलीय घटना है। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आता है तो ‘सूर्य ग्रहण’लगता है। वहीं सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आने पर ‘चंद्र ग्रहण’ लगता है। ध्यान रहे सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है।