शिवसेना के मुखपत्र सामना में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे और गृह मंत्री अनिल देशमुख के संबंध के बारे में सवाल उठाए जाने के बाद एनसीपी ने संजय राउत को नसीहत देते हुए कहा है कि इस मामले को तूल देकर आपसी संबंध खराब न करें।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि तीन पार्टी की सरकार होने पर इन पार्टी से संबंधित लोग एक दूसरे पर वक्तव्य देकर परेशानी बढ़ाने का काम न करें।
वहीं एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने सामना के लेख का जिक्र करते हुए कहा कि अनिल देशमुख ‘एक्सीडेंटल’ गृह मंत्री नहीं है। सामना संपादक को लेख लिखने का अधिकार है। शरद पवार ने उन्हें सोच समझकर जिम्मेदारी दी है। वे ‘एक्सीडेंटल’ गृह मंत्री नहीं है। अगर गृह मंत्री में कुछ कमियां हैं तो वे उसे दूर करने का काम करेंगे।
बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में सवाल उठाते हुए पूछा गया है कि सचिन वाजे वसूली कर रहा था और राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख को इसकी जानकारी नहीं थी? मुखपत्र में आगे लिखा गया है कि देशमुख को गृह मंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया। आगे लिखा गया है कि आखिर एपीआई स्तर के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जांच का विषय है। पुलिस आयुक्त, गृह मंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा सचिन वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था लेकिन उसे सरकार में असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया।
सामना में लिखा गया है कि अनिल देशमुख को ‘दुर्घटना वश’ गृह मंत्रालय मिल गया जबकि उम्मीदवार कोई और था। क्योंकि जयंत पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल ने इस पद को स्वीकारने से मना कर दिया था। आज मौजूदा सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोई योजना नहीं है। आरआर पाटील की गृहमंत्री के रूप में कार्य पद्धति की तुलना आज भी की जाती है। संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है।