इस बीच जीएसटी काउंसिल इस नई कर प्रणाली के नियमों को अंतिम रूप देने में जुटी है तो इधर व्यापारी इसे जटिल और अपरिचित मानते हुए विरोध में हैं।
लखनऊ। विधानसभा के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद पहली जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस बीच जीएसटी काउंसिल इस नई कर प्रणाली के नियमों को अंतिम रूप देने में जुटी है तो इधर व्यापारी इसे जटिल और अपरिचित मानते हुए विरोध में हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में इस कर प्रणाली को लागू कराने का जिम्मा संभालने वाले सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर के मुख्य आयुक्त शिव नारायण सिंह व्यापारियों के इस विरोध से सहमत नहीं हैैं। वह बताते हैैं कि 23 साल तक चर्चा के बाद अब पास हुआ यह बिल कतई नया नहीं है। 17 टैक्स खत्म करने वाले जीएसटी ने जटिलता कम की है। उनका कहना है कि वीटो पावर तो राज्य का ही रहेगा।
-जीएसटी कर प्रणाली किन मायनों में मौजूदा कर प्रणाली से अलग है?
-पहले 17 टैक्स थे, अब सिर्फ एक जीएसटी लगेगा। यह कर प्रणाली पोर्टल से संचालित होगी। क्रेडिट से रिफंड तक सब कुछ नेटवर्क से होगा। मानव दखल बेहद कम हो जाएगा। पहले उत्पादन, बिक्री और सेवा, तीनों पर कर लगता था, अब सिर्फ आपूर्ति व सेवा पर लगेगा।
– जीएसटी कितने प्रकार का है, अलग-अलग तरह के जीएसटी की वजहें क्या हैैं?
– जीएसटी तीन तरह का है-सेंट्रल, स्टेट और इंटीग्रेटेड। टैक्स से आने वाले राजस्व का हिसाब-किताब रखने के लिए यह वर्गीकरण किया गया है। राज्य के भीतर कारोबार से मिलने वाले टैक्स पर केंद्र व राज्य का आधा-आधा हिस्सा होगा, जबकि किसी अन्य राज्य से कारोबार पर इंटीग्रेटेड जीएसटी के फार्मूले से निपटारा करते हुए केंद्र व उपभोक्ता राज्य के बीच टैक्स की रकम को बराबर बांटा जाएगा।
– जीएसटी की दरें क्या होंगी?
– अलग-अलग श्रेणी की वस्तुओं व सेवाओं पर जीएसटी की दर पांच, 12, 18 व 28 फीसद होगी।
– किन वस्तुओं और सेवाओं पर किस दर से जीएसटी लगाया जाएगा, इन दरों को कौन तय करेगा?
– यह दरें जीएसटी काउंसिल तय करेगी। काउंसिल की मीटिंग में इस पर निर्णय लिया जाना है कि किस वस्तु या सेवा पर किस दर से टैक्स लिया जाएगा। यह माना जा रहा है कि लक्जीरियस वस्तुओं व सेवाओं पर कर 28 फीसद तक हो सकता है, जबकि आम जरूरतों की चीजें पांच फीसद के न्यूनतम कर के साथ उपलब्ध होंगी।
– जीएसटी लागू होने पर व्यापारियों को क्या औपचारिकताएं निभानी होंगी?
– जीएसटी के तहत व्यापारियों को हर महीने तीन रिटर्न दाखिल करने पड़ेंगे। महीने की 10, 15 व 20 तारीख पर जमा होने वाले इन रिटर्न में से एक में कुल खरीद, दूसरे में कुल बिक्री और तीसरे रिटर्न में दोनों का कंपोजिट हिसाब बताना होगा। इस तरह वार्षिक रिटर्न मिलाकर उन्हें साल में कुल 37 रिटर्न भरने होंगे।
– कौन से व्यापारी जीएसटी के दायरे में आएंगे?
– टर्नओवर के आधार पर व्यापारियों को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा। 20 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी के लिए पंजीकरण कराने तक की जरूरत नहीं है, जबकि 20 से 50 लाख रुपये तक टर्नओवर पर जीएसटी की कंपोजिट स्कीम के तहत टैक्स की दर कम रहेगी। 50 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ करने पर विचार किया जा रहा है।
– जीएसटी से उपभोक्ता, सरकार और व्यापारियों को क्या फायदे होंगे?
– पहला बड़ा फायदा तो यह होगा कि चेक पोस्ट पर ट्रकों को रुकना नहीं पड़ेगा, जिससे उनका 16 फीसद समय बचेगा। समय की बचत ईंधन की खपत के साथ कीमतों में भी कमी लाएगी। पहले अलग-अलग टैक्स होने से कई बार एक का इनपुट टैक्स क्रेडिट दूसरे में नहीं मिलता था, जैसे सेंट्रल एक्साइज का क्रेडिट सेल्स टैक्स में नहीं मिलता था, लेकिन अब दोनों के जीएसटी में शामिल होने से क्रेडिट मिलने लगेगा। इससे दाम कम होंगे। जीएसटी से जीडीपी के भी डेढ़ से दो फीसद तक बढऩे की उम्मीद है।
– उत्पादक राज्यों की तुलना में उपभोग करने वाले राज्यों के लिए क्या जीएसटी अधिक फायदेमंद होगा?
-हां। जीएसटी दरअसल ‘लक्ष्य आधारित उपभोग कर (डेस्टीनेशन बेस्ड कंजम्प्शन टैक्स) है। वस्तु या सेवा का जहां उपभोग होगा, वहीं टैक्स मिलेगा। इसीलिए कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र व गुजरात जैसे उत्पादक राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उपभोक्ता राज्यों को जीएसटी का अधिक लाभ मिलेगा।
– कोई सामान आयात कर उप्र में उसका उपभोग होने पर जीएसटी किस तरह लगेगा?
– आयात की व्यवस्था पहले की तरह रहेगी। पहले एडीशनल ड्यूटी लगती थी, जिसका नाम अब आइजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी हो जाएगा। ड्यूटी की दर समान रहेगी।
– जीएसटी के तहत कर चोरी पर सजा के क्या प्रावधान हैैं?
-टैक्स चोरी पर जीएसटी में पांच साल के एसेसमेंट के साथ पेनाल्टी व ब्याज अदा करना होगा। पांच करोड़ रुपये या इससे अधिक की कर चोरी पर केस बुक कर गिरफ्तारी का प्राविधान है। इस रकम को घटा कर दो करोड़ रुपये करने पर विचार किया जा रहा है।
-राज्य व केंद्र के बीच जीएसटी को लेकर किस तरह समन्वय होगा?
-जीएसटी में दो तिहाई वीटो पावर तो राज्य का ही रहेगा। डेढ़ करोड़ रुपये से नीचे के टर्नओवर वाले 90 फीसद व्यापारियों पर राज्य का नियंत्रण रहेगा। साथ ही राज्य सरकार के साथ समन्वय समिति बनाई गई है, जिसकी एक बैठक आठ मई को हो चुकी है। राज्य व केंद्र के बीच तालमेल के मामले यही समिति तय करेगी।