राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार की शाम काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन किया. आर एस एस प्रमुख मंदिर पहुंचने के बाद सबसे पहले कॉरिडोर क्षेत्र में गए.

वहां उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम के लिए खरीदे गए भवनों के ध्वस्तीकरण के बाद निकले प्राचीन मंदिरों को देखकर हैरानी जताई. उन्होंने मंदिरों की इतिहास और कार्य की प्रगति के अलावा कार्य के पूर्ण होने के समय तक की जानकारी अधिकारियों से ली. उन्होंने मंदिर के नीलकंठ प्रवेश द्वार से होते हुए ललिता घाट स्थित पशुपतिनाथ मंदिर और मणिकर्णिका घाट के नजदीक जाकर मां गंगा को प्रणाम किया.
उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वर्ण शिखर दूर से ही देख कर कहा कि यह बाबा विश्वनाथ की इच्छा से ही संभव हो पाया है, जिस गति से यह काम चल रहा है इस गति से एक साल के अंदर ही हमें बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा.
इस दौरान उन्होंने मंदिर परिसर में मंदिर प्रशासन द्वारा बनवाए गए एक वीडियो को भी देखा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा के बाद मंदिर प्रशासन ने कैसे इस परियोजना को शुरू किया था और किन-किन चुनौतियों, बाधाओं को पार करते हुए आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं.
इसके साथ ही मंदिर में चल रही योजनाओं जैसे विदेशी पर्यटकों को दर्शन कराना, बाबा के चढ़ाए हुए फूल-मालाओं से बनने वाली अगरबत्ती के अलावा भविष्य में होने वाले निर्माण आदि के बारे में बनाए गए वीडियो को भी दिखाया गया. सप्त ऋषि आरती के बाद उन्होंने गर्भगृह में जाकर बाबा का षोडशोपचार पूजन किया.
गौरतलब है कि पिछले दिनों मोहन भागवत ने कहा था कि जब आरएसएस कार्यकर्ता कहते हैं कि यह हिंदुओं का देश है, तो इसका मतलब है कि देश के 130 करोड़ लोग हिंदू हैं.
बरेली में एक समारोह में उन्होंने कहा था, ‘यह कहना कि सभी हिंदू हैं, हम किसी के धर्म, भाषा या जाति को बदलना नहीं चाहते..हम संविधान से अलग सत्ता का कोई केंद्र नहीं चाहते, क्योंकि हम इसमें विश्वास करते हैं. हिंदुत्व एक समग्र दृष्टिकोण है और हम मानते हैं कि सभी के पूर्वज हिंदू थे. यह विविधता में एकता है और भावनात्मक अखंडता से चिन्हित है.’
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