सुप्रीम कोर्ट दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में उपराज्यपाल द्वारा 10 सदस्यों को नामित करने के विरुद्ध दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई आज सोमवार को करेगा। इस याचिका पर सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की पीठ करेगी।
याचिका पर SC ने 29 मार्च को उपराज्यपाल कार्यालय से मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को याचिका पर उपराज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा था। वकील शादान फरासत के माध्यम से दायर याचिका में अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने निर्वाचित सरकार और उसकी मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना सदस्यों को नामित करने के उपराज्यपाल के निर्णय को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में यह स्पष्ट करके महापौर और उप महापौर के लिए चुनाव कराना सुनिश्चित किया था कि एमसीडी के 10 मनोनीत सदस्य महापौर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते।
मनोनीत सदस्यों का नामांकन रद करने के अनुरोध के अलावा, याचिका में उप राज्यपाल कार्यालय को मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुरूप दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा- 3 (3)(बी)(आइ) के तहत एमसीडी में सदस्यों को नामित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि निगम अधिनियम का कोई भी प्रविधान कहीं भी यह नहीं कहता कि इस तरह का नामांकन प्रशासक द्वारा अपने विवेक से किया जाना है। याचिका में कहा है कि यह पहली बार है, जब निर्वाचित सरकार को उपराज्यपाल द्वारा पूरी तरह से दरकिनार करते हुए इस तरह का नामांकन किया गया है।
भाजपा पार्षदों को भी समीक्षा बैठक में बुलाएं महापौर: प्रवीण शंकर कपूर
जोन के अनुसार पार्षदों की समीक्षा बैठक में भाजपा के पार्षदों को न बुलाए जाने पर भाजपा ने आलोचना की है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने मामले में महापौर डा. शैली ओबेराय को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि महापौर ने ऐसा करके परंपराओं का उल्लंघन किया है। उन्होंने पत्र में नगर निगम के एक्ट 68 का अनुच्छेद की ओर ध्यानार्षित कराया।