एक महीने से कर्नाटक में चल रहा सियासी नाटक अब खत्म हो गया है. बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. येद्दयुरप्पा 29 जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे. इन सब के बीच जेडीएस के कुछ विधायक भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं. जेडीए के विधायकों ने पूर्व सीएम कुमारस्वामी से भाजपा का समर्थन करने के लिए कहा हैशुक्रवार रात हुई बैठक में जेडीएस के विधायकों के बीच मतभेद नजर आया. कुछ विधायकों ने एचडी कुमारस्वामी से कर्नाटक में बीजेपी सरकार में शामिल होकर या बाहर से समर्थन देने की मांग उठाई. हालांकि, विधायकों ने आखिरी फैसला कुमारस्वामी पर छोड़ दिया है. भले ही भाजपा की सरकार बन गई हो, लेकिन चुनौतियां अभी भी समाप्त हुई है.

सदन में येदियुरप्पा को 31 जुलाई को बहुमत साबित करना है. इससे पहले गौर करने वाली बात यह है कि कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने अभी तक केवल तीन बागी विधायकों को ही अयोग्य ठहराया है. उन्होंने गुरुवार को कांग्रेस के दो बागी विधायकों रमेश जर्किहोली व महेश कुमाताहल्ली और एक निर्दलीय विधायक आर. शंकर को तत्काल प्रभाव से अयोग्य करार दे दिया था. इन तीनों के अलावा 14 बागी विधायकों का भाग्य अभी भी अधर में लटका हुआ है. यही वजह है कि भाजपा ने सरकार बनाने में जल्दबाजी नहीं दिखाई और उन्होंने सरकार बनाने का दावा देरी से पेश किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सदन की ताकत अभी भी 222 सदस्य की है और भाजपा सरकार बनाने के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी. एक निर्दलीय सहित 106 विधायकों के साथ भाजपा अभी भी बहुमत से दूर है.अगर बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है या ये विधायक अयोग्य घोषित होते हैं, तो भाजपा फ्लोर टेस्ट पास कर जाएगी. हालांकि, इसके बाद उसके लिए सिर दर्द उपचुनाव होगा. उपचुनाव के बाद बहुमत हासिल करने के लिए उसे कम से कम आठ सीटों की आवश्यकता होगी. यानी भाजपा को उपचुनावों में अपने दम पर जीत हासिल करनी होगी. सीएम येदियुरप्पा सदन में 29 जुलाई को बहुमत साबित करेंगे. इससे पहले पिछले साल चुनाव के बाद भाजपा राज्य में सबसे अधिक सीट जीतकर भी बहुमत साबित करने से चूक गई थी. इस दौरान येदियुरप्पा ने शपथ सीएम के तौर पर शपथ ले ली थी, लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले बहुमत का आंकड़ा न होने पर अपने पद से इस्तीफा देना होगा.
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