रात तीन बजे का वक्त, अंधेरे में खड़ी ट्रेन और कंपकंपा देने वाली सर्द हवाएं, ऐसे में मां को पुकारती हुई नवजात की रोने की आवाज, बच्चा शायद यह पूछ रहा था, मां! मेरा क्या कसूर… तुम तो अपनी थी। यह हृदयविदारक दृश्य था, सेंट्रल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 10 पर सन्नाटे में खड़ी मेमू ट्रेन का। जिसने भी रोने की आवाज सुनी उसके कदम वहीं ठहर गए। लोकलाज थी या फिर कोई मजबूरी, कोई मां उसे इस हाल में छोड़ गई। ट्रेन के अंदर रोते नवजात की आवाज सुनकर निकल रहे यात्री ने पुलिस को सूचना दी।
जानकारी मिलते ही मौके पर जीआरपी पहुंच गई और आसपास मौजूद लोगों से जानकारी की। बच्चे के बीमार होने पर जीआरपी ने उसे अस्पताल पहुंचाया, बाद में उसे चाइल्डलाइन भेज दिया गया। जीआरपी प्रभारी राम मोहन राय ने बताया कि बच्चा करीब दस दिनों का है। स्थितियां देखकर लगा कि उसे जानबूझकर ट्रेन में छोड़ा गया। बच्चा ठंड से बुरी तरह कांप रहा था। समय पर इलाज मिलने के कारण बच्चे की जान बच सकी। शनिवार सुबह उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया।
बीमारी से उठकर पहुंचे
जीआरपी प्रभारी राम मोहन राय इन दिनों डेंगू बुखार से पीडि़त हैं। शुक्रवार देर रात जैसे ही उन्हें ट्रेन में लावारिस नवजात मिलने की सूचना मिली। वह मौके पर पहुंचे और सुबह पांच बजे बच्चे को अस्पताल पहुंचाने तक वहीं रहे।
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