सड़क बनाने वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश

सरकार ने नियोक्ताओं से कहा है कि सड़क निर्माण करने वाली पंजीकृत महिला कर्मियों को दो प्रसूतियों के लिए 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश दिया जाए। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति इरानी ने बताया कि दो बच्चों के बाद की प्रसूति के लिए नियोक्ता को 12 हफ्ते का सवेतन मातृत्व अवकाश देना होगा। केंद्रीय मंत्री इरानी ने मंगलवार को यह घोषणा तब की जब कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पर दिशा-निर्देश जारी किए गए।

26 हफ्ते का सवेतन मातृत्व अवकाश

श्रम मंत्रालय और महिला व बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त एडवाइजरी में कहा कि देश भर में महिला कर्मियों को 26 हफ्ते का सवेतन मातृत्व अवकाश मिलने का प्रविधान किसी क्रांति से कम नहीं है। इरानी ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों को केवल कागज पर जारी नहीं किया गया, बल्कि अफसरों को महिलाओं को यह सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा। अगर किसी गर्भवती कर्मचारी का गर्भपात होने की स्थिति में उसे इस हादसे के दिन से ही मातृत्व अवकाश की सुविधाओं के साथ छह हफ्ते का अवकाश मिलेगा।

जरूरी सुविधाएं भी मिलेंगी

इरानी ने कहा कि एडवाइजरी के अनुसार महिला कर्मचारियों को आनलाइन भुगतान सुनिश्चित करना होगा ताकि उनका सुपरवाइजर उनके वेतन में कटौती न कर सके। महिलाओं को कार्यबल में बढ़ावा देने के लिए रात्रि पाली और आवागमन के लिए जरूरी सुविधाएं देनी होंगी।

क्रैचेज के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम मानक

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार छह महीने और उससे बड़े बच्चों के लिए क्रैच के लिए राष्ट्रीय स्तर के न्यूनतम मानक और प्रोटोकाल जारी किए गए हैं। इसके तहत कार्यालयों, आवासीय क्षेत्रों, स्कूलों, अस्पतालों आदि स्थानों पर घंटे, हफ्ते या महीने के शुल्क पर यह सुविधा दी जाए। ग्राउंड फ्लोर को क्रैच के लिए वरीयता दी जाए। बच्चों की सुरक्षा, स्वच्छता और सेहत का ध्यान रखने के साथ ही उन्हें उनकी आयु वर्ग के खिलौने दिए जाएं। क्रैच सुपरवाइजर और उसके हेल्परों के लिए न्यूनतम शिक्षा जरूरी है।

कामकाजी महिला हास्टल की सुविधा

स्मृति इरानी ने कामकाजी महिलाओं को सरकारी परिसरों में ही हास्टल की सुविधा प्रदान करने को कहा गया है। सरकार की इस पहल पर सात केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने इस संबंध में अपने प्रस्ताव रखे हैं। विवि के परिसरों में ही केवल कामकाजी महिलाओं के लिए हास्टल की सुविधा देने को लेकर महिला व बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया है। उन्हें उम्मीद है कि अगले दो हफ्तों में इन प्रस्तावों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। पीएचडी की छात्राओं की तादाद भी अब 99 प्रतिशत तक हो गई है।

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