वाराणसी शहर में 350 बेसमेंट में मोबाइल, कपड़े की दुकानें चल रहीं हैं और रेस्टोरेंट खुले हैं। इसके चलते लोग सड़कों पर वाहन खड़ा करके चले जाते हैं। इससे जाम लग रहा है। तमाम प्रतिबंध के बावजूद चौराहों, तिराहों और सड़कों पर वाहन खड़े हो रहे हैं। शहर का कोई ऐसा इलाका नहीं है जहां पर सुबह से लेकर शाम के बीच में जाम न लगता हो।
रथयात्रा, शहीद उद्यान के सामने, सिगरा, लंका, गोदौलिया, लक्सा, अर्दली बाजार आदि क्षेत्रों के बड़े व्यावसायिक भवनों की भूमिगत पार्किंग वाली जगह दुकानें संचालित हो रही हैं। इससे आए दिन जाम की समस्या खड़ी हो जाती है। वीडीए की ओर से अभियान चलाया गया था। इसमें 150 से अधिक बेसमेंट को खाली कराया गया, लेकिन फिर वही स्थिति हो गई।
पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो एक जनवरी से अब तक पुलिस ने 6.03 लाख वाहनों का चालान किया है, लेकिन समस्या का समाधान अब तक नहीं निकला है। पुलिस ने हेलमेट, ओवरस्पीड, सीट बेल्ट, मोबाइल पर बात करने, रेड लाइट जंप, नशे की हालत में गाड़ी चलाने आदि पर चालान काटे हैं।
यही नहीं अवैध वाहन स्टैंडों को लेकर नगर निगम, परिवहन के अधिकारियों के साथ अभियान भी चलाए। लेकिन इन सबके बावजूद सड़कों पर वाहन खड़े हो रहे हैं। चौकाघाट से लेकर इंग्लिशिया लाइन और आसपास का क्षेत्र कब्जे की जद में रहता है। आए दिन अवैध कब्जे के कारण आवागमन प्रभावित हो रहा है।
कब्जे के कारण फुटपाथ भी गायब
नियमों को दरकिनार कर अवैध वाहन स्टैंडों के संचालन के कारण जाम की समस्या आ रही है। कैंट, रोडवेज सहित कई इलाकों के फुटपाथ भी कब्जे की भेंट चढ़ चुके हैं। सवारियों को बैठाने की होड़ में बेतरतीब जमावड़ा जाम का कारण बन रहा है। पिछले दिनों नगर निगम के अधिकारियों ने अवैध पर्ची भी पकड़ी थी। जिस पर कार्रवाई की गई थी, लेकिन इस प्रकार का अभियान आगे नहीं बढ़ सका। केवल वीआईपी आगमन पर खाली होता है रूट :अवैध तरीके से खड़े वाहनों के खिलाफ कई बार अभियान चलाया गया। यहां तक की सड़क पर खड़े वाहनों का चालान किया गया। यही नहीं कई लोगों पर कार्रवाई भी की गई। कार्रवाई के एक हफ्ते बाद फिर वही स्थिति हो जाती है। जिसके बाद जब कोई बड़ा त्योहार या वीआईपी का आगमन होता है तो उस दिन रूट क्लीयर रहता है। बाकी दिन समस्या जस की तस हो जाती है।
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