लखनऊ शूटआउट में मारे गए संजीव जीवा हत्याकांड में आरोपी विजय के अलावा एक अन्य शूटर के शामिल होने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि कोर्ट विजय अकेला नहीं था। उसका एक साथी शूटर भी कोर्ट परिसर में था। हत्याकांड को बकायदा प्लान बी भी तैयार किया गया था। सीसी फुटेज और कुछ लोगों के बयान के आधार पर पुलिस यह भी दावा कर रही है कि एक ही बदमाश ने गोलियां चलाई हैं। वह पिलर के पीछे वकील के वेश में खड़ा था। उसका दूसरा साथी भी वकील के कपड़ों में कुछ दूरी पर था। वह सम्भवत अपने साथी की मदद के लिए खड़ा था लेकिन वकीलों ने जब विजय यादव उर्फ आनन्द यादव को पकड़ कर पीटना शुरू कर दिया तो वह भाग निकला। वकील के वेश में होने के कारण अफरातफरी के बीच उसे भागने में भी आसानी रही।
कोर्ट में ताबड़तोड़ फायरिंग करने वाला विजय यादव पार्किंग स्टैंड से होते कोर्ट परिसर में घुसा था। यह बात अधिवक्ताओं ने पुलिस अधिकारियों के सामने कही। इसके आधार पर पार्किंग की तरफ के रास्तों पर लगे सीसी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है।
हत्यारोपित विजय यादव को जीवा के पेशी पर आने की पुख्ता जानकारी थी। योजना मुताबिक वह अधिवक्ता का वेश बनाकर कोर्ट के बाहर पहुंचा। पार्किंग स्टैंड से होता परिसर में चला गया पर कहीं भी उसे चेक नहीं किया गया, जबकि विजय के पास असलहा था। माना जा रहा है कि हत्या को अंजाम देने की साजिश बड़े स्तर पर कई दिन पूर्व ही रची गई थी, जिसे बुधवार को अंजाम दिया गया। अंदेशा है कि विजय के साथ तीन अन्य लोग आए थे।
जिला एवं सत्र न्यायालय की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस पर है। वजीरगंज कोतवाली की एक पुलिस चौकी भी है। कचहरी में फरियादियों और वकीलों की सुरक्षा को बेहतर बनाने को मेटल डिटेक्टर के साथ गेट पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगती है। दावा है कि कचहरी की सुरक्षा अभेद्य है। जमीनी हकीकत पर कचहरी की सुरक्षा में छेद ही छेद नजर आते हैं। कचहरी के गेट नम्बर एक, दो, तीन और चार के पास मेटल डिटेक्टर लगे हैं लेकिन यह सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं।