विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश को आप नेता और राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साजिश बताया। मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति पर आप नेता ने जमकर हमला बोला, कहा कि वह बीजेपी और पीएम मोदी का एजेंट बनकर कार्य कर रहे हैं।चुनाव आयोग ने एकतरफा फैसला करते हुए लाभ के पद के मामले में विधायकों को फांसी पर चढ़ा दिया है। ये फैसला कानून और संविधान को ताक पर रखकर किया गया है। आप नेता और सांसद संजय सिंह शनिवार को वीवीआईपी गेस्ट हाउस में पत्रकारवार्ता कर रहे थे।
संजय सिंह ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति तीन दिन बाद रिटायर हो जाएंगे। इसीलिए उन्होंने बीजेपी व पीएम मोदी का एजेंट बनकर कार्रवाई की है। वह खुद गुजरात में मुख्य चुनाव आयुक्त रहने के बावजूद एक बंगला लिए हैं और अपने पद का फायदा उठा रहे हैं।
वह गुजरात के मुख्य सचिव सहित नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न पदों पर रहे हैं। इसीलिए अपने मालिक के प्रति वफादारी निभा रहे हैं। संजय सिंह ने दावा किया कि उन्हें सूचना मिली है कि चुनाव आयोग के दो अन्य आयुक्त इस फैसले के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द किया है। ऐसे में सदस्यता को रद्द करने का प्रश्न कैसे उठता है। यही नहीं उन्होंने विधायकों द्वारा संसदीय सचिव रहने के दौरान किसी भी प्रकार के वेतन, भत्ते और बंगले आदि न लेने का दावा किया।
आप नेता ने बंगाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने रद्द किया था लेकिन उनकी सदस्यता नहीं खत्म की गई।
ऐसे में सिर्फ आप विधायकों के साथ ऐसा क्यों किया गया। संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली शीला दीक्षित कार्यकाल में संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द हो गई थी। उन्होंने विधान सभा में काननू बनाकर राष्ट्रपति को भेजा और उन्हें बचा लिया।
इसी तरह झारखंड और छत्तीसगढ़ में विधायकों की नियुक्ति संसदीय सचिव के पद पर की गई और राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया। उन्हें भी विधान सभा में कानून बनाकर बचा लिया गया।
इन जगहों पर ऐसा कानून बनाया गया जो पूर्व से ही प्रभावी हो। हरियाण में चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर अतिरिक्त वेतन, राज्य मंत्री का दर्जा देने का हवाला उन्होंने दिया और बताया कि सभी की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने रद्द किया लेकिन उनकी सदस्यता रद्द नहीं हुई।
बंगाल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में 11 संसदीय सचिवों को नियुक्ति को हाईकोर्ट में रद्द किया लेकिन उनकी सदस्यता रद्द नहीं की गई।