श्री राम के सहारे सत्ता हासिल करने वाले राम मंदिर को भूले: तोगड़िया

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के सहारे सत्ता हासिल करने वाले अब उनके मंदिर निर्माण की ही बात भूल गए हैं। बहुमत में आने के बाद कानू बनाकर राम मंदिर निर्माण करने की शपथ लेने वाले लोग पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद श्री राम को ही भूल गए, उन्हें कर्ज से दुखी किसान, सीमा पर गोलियों का सामना कर रहे सैनिक, बेरोजगार और नौजवानों के साथ भाजपा के कार्यकर्ता का सम्मान तथा विचारधारा का सम्मान तक याद नहीं रहा। जनता से किए गए वायदे के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर बनना ही चाहिए। तीन तलाक पर कानून बन सकता है तो राम मंदिर के लिए क्यों नहीं। यह हिंदुओं के साथ विश्वासघात है। इसके लिए सरकार को जगाने के लिए 21 अक्तूबर को लखनऊ से अयोध्या कूच किया जाएगा।

अकबरपुर के जनकपुरी मैदान में शुक्रवार को आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि केंद्र में सत्तासीन भाजपा सरकार को भूलने की गंभीर बीमारी लग गई है। किसानों को भूल गए हैं, नौजवान और सीमा पर तैनात जवानों को  भी भूल गए हैं। यहां तक कि राम मंदिर निर्माण के वादे को भी भूल बैठे हैं, सिर्फ तीन तलाक याद रह गया है। राम मंदिर आंदोलन को लेकर कभी विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का झंडा बुलंद करने वाले डॉ तोगड़िया एक बार फिर अपने संगठन अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद से आंदोलन की राह पर हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी कभी अयोध्या नहीं आए। फायरब्रांड नेता प्रवीण तोगड़िया यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि चार साल में केंद्र सरकार ने राम मंदिर पर कोई चर्चा तक नहीं की। करोड़ों हिन्दुओं के वोट से बहुमत में आई बीजेपी ने एक बार भी राम मंदिर का मुद्दा सदन में नहीं उठायाबीजेपी को करोड़ों हिंदुओं ने वोट किया लेकिन बहुमत मिलते ही वह मुस्लिम महिलाओं की हितैशी बन गई और ट्रिपल तलाक पर कानून बना रही है।

उन्होने कहा करोड़ों लोगों से श्ला पूजन कराया, सोमनाथ से अयोध्या के बीच यात्रा निकालकर लोगों के सामने लोगों से राम मंदिर निर्माण की शपथ ली। पूर्ण बहुमत पाने के बाद कोर्ट के आदेश का इंतजार होने लगा। उन्होने कहा कि अगर राम मंदिर कोर्ट के आदेश से ही बनना था तो राम मंदिर आंदोलन की क्या जरूरत थी। कोठारी बंधुओं की कुर्बानी की क्या जरूरत थी। यदि कोर्ट से ही फैसला होना था तो सुप्रीमकोर्ट से रथयात्रा निकालनी थी सोमनाथ मंदिर से नहीं ।

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