पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीजी राधारानी की 8 सखियां थीं। अष्टसखियों के नाम हैं- 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी। राधारानी की इन आठ सखियों को ही “अष्टसखी” कहा जाता है। श्रीधाम वृंदावन में इन अष्टसखियों का मंदिर भी स्थित है। आओ इस बार जानते हैं रंगदेवी के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. श्री राधारानी की अष्टसखियों में से एक रंगदेवी हैं जो सातवें नंबर पर आती है। पुराणों में इनका एक नाम श्यामला भी कहा गया है। यह राधाजी से सात दिन छोटी हैं। माता का नाम करुणादेवी और रंगासारगर इनके पिता का नाम है।
2. वृन्दावन की वायव्य दिशा में इनका निवास स्थान बताया गया है। बरसाना के निकट इनका गांव है।
3. राधाकुंड के तट पर अष्टकुंज है उनमें से इनके कुंज का नाम मनोहर कुंज है, जहां के पशु, पक्षी, लताएं, वृक्ष आदि सभी श्यामरंग के हैं। यह सखी श्रीकृष्ण को इस वन में छुपाने में माहिर थीं। जब श्रीराधा किसी कुंज में अकेली होती थीं तब यह सखी संकेतों से श्रीकृष्ण को उस कुंज में भेज देती थीं।
4. यह सखी बड़ी ही कोमल और सुंदर हैं। ये जपापुष्प सदृश वस्त्र धारण करती हैं। इनके अंग पद्मराग के समान हैं और ये जवाकुसुम रंग की साड़ी पहनती हैं। यह सखी सभी कलाओं में निपुण हैं। इनकी सभी त्योहारों में आस्था है।
5. ये नित्य श्रीराधा के हाथों और चरणों में अत्यन्त सुंदर महावर (जावक) लगाती हैं और राधाजी के साथ हास-परिहास करती हैं। सखी रंगदेवी राधारानी की आंखों में काजल लगाती और उनका श्रृंगार करती थी। यह सखी सुगंध की ज्ञाता हैं। यह दोनों को चंदन और रंग चढ़ाती है। रंग देने वाली होने के कारण इनका नाम रंगदेवी पड़ा।