शिवसेना के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर होने के साथ विपक्ष ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले अपनी संख्या को बढ़ा लिया है. संयुक्त विपक्ष की ताकत लोकसभा में 200 के आंकड़े को पार कर गई है, जहां संख्या की कमी के कारण विपक्ष के नेता का पद खाली है.
शिवसेना के लोकसभा में 18 सांसद हैं और राज्यसभा में तीन सांसद हैं. पार्टी महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण बनने के साथ विपक्ष की बेंच में चली गई है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना की बातचीत चल रही है जहां फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है. लोकसभा वेबसाइट के विवरण के अनुसार, कांग्रेस के लोकसभा में 52 सांसद हैं, डीएमके के 24, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 22 और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के 22 सांसद हैं, जबकि शिवसेना विपक्ष की पांचवी सबसे बड़ी घटक पार्टी है.
हालांकि तीन महत्वपूर्ण पार्टियां वाईएसआरसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और बीजू जनता दल (बीजद) तकनीकी रूप से तो विपक्ष में हैं लेकिन उनका रुख राजनीति के लिहाज से बदलता रहता है. राज्यसभा में जहां विपक्ष तेजी से अपनी पकड़ खोता जा रहा है, शिवसेना के शामिल होने से इसे ताकत मिली है. शिवसेना के राज्यसभा में तीन सांसद हैं. विपक्ष ने सरकार की ओर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया. अब्दुल्ला लोकसभा के सदस्य हैं.