नई दिल्ली, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के लिए बीजिंग में हैं। इस समय बीजिंग खेल के महाकुंभ के साथ राजनीति का बड़ा केंद्र बन गया है। इस मौके पर पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ताइवान को चीन का अभिन्न हिस्सा माना। साथ ही ताइवान की किसी भी रूप में स्वतंत्रता के दावे को खारिज कर दिया। इस मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि रूस ‘वन चाइना’ के सिद्धांत का समर्थन करता है। बदले में चीन ने भी यूक्रेन के मुद्दे पर अमेरिका के साथ चल रहे तनाव में रूस का समर्थन किया है। दुनिया की दो महाशक्तियों के इस मिलन से ताइवान और यूक्रेन का संकट और गहराने की आशंका है।
1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस मौके का पूरा लाभ लेना चाहते हैं। इस दौरान चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह हांगकांग में दंगे भड़का रहा है। साथ ही ताइवान की स्वतंत्रता को हवा दे रहा है। रूस ने भी कहा कि अमेरिका यूक्रेन में संकट बढ़ा रहा है। 5300 शब्दों वाले लंबे संयुक्त बयान में रूस और चीन ने एक दूसरे के हितों की रक्षा के लिए सहयोग की बात भी कही, जिसमें उनकी संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और घरेलू मामलों में किसी अन्य देश का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करना शामिल है।
2- प्रो पंत ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की चिनफिंग की मुलाकात दो वर्ष के अंतराल पर हुई। यह पिछले दो साल में पहली बार है, जब चिनफिंग किसी देश के राष्ट्रपति से रूबरू मिले हैं। माना जा रहा है कि इससे रूस और चीन के संबंध और गहरे होंगे। दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद संयुक्त बयान में कहा कि नाटो देश शीतयुद्ध काल के रणनीतिक रास्ते को छोड़ दें। पुतिन इन दिनों यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के विरोध पर अमेरिका समेत इस ग्रुप के सभी देशों से तनाव ले रहे हैं। पश्चिमी देश इस संकट को सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में चिनफिंग ने उनसे एक रणनीति के तहत मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिका और नाटो देशों के खिलाफ रूस के रुख का समर्थन किया है। साथ ही उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए रूस का साथ दिया है।
3- उन्होंने कहा कि चीनी नेतृत्व इसे अमेरिकी प्रभुत्व के लिए परीक्षा की तरह देख रहा है। साथ ही मान रहा है कि इससे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन विचलित होंगे। इससे अमेरिकी प्रशासन का फोकस चीन से हटेगा जो उसे 21वीं सदी का रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है। चीन द्वारा पुतिन को आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का वादा बाइडेन की उस रणनीति को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके तहत वे रूस को यूक्रेन सीमा पर सैन्य जमावड़े के मामले में अलग-थलग कर देना चाहते हैं। यह चीन-अमेरिका की प्रतिद्वंद्विता में बदलाव का संकेत भी दे सकता है, जिसकी गूंज यूरोप की जगह एशिया में सुनी जाएगी।
यूक्रेन सीमा पर रूस ने तैनात किए हैं एक लाख सैनिक
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन चीन और रूस, दोनों देशों से रणनीतिक संबंधों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। रूस ने यूक्रेन सीमा पर एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अमेरिका को शक है कि रूस की मंशा यूक्रेन पर आक्रमण करने की है। इस बीच मास्को ने आरोप लगाया है कि अमेरिका पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य टुकड़ियां तैनात कर आक्रमण का खतरा और तनाव बढ़ा रहा है। इस हफ्ते की शुरुआत में पुतिन ने कहा था कि अमेरिका रूस को कार्रवाई के लिए उकसा रहा है। साथ ही शिकायत की थी कि पश्चिमी देश रूस की सुरक्षा गारंटी की मांगों को संतुष्ट नहीं कर सके हैं।