New Delhi: भगवान शिव की समाधि प्रसिद्ध है तो उनका क्रोध प्रलय के समान माना जाता है। अनेक पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि जब शिव को क्रोध आया तो संपूर्ण सृष्टि कांपने लगी।अभी-अभी: हुआ बड़ा हादसा खाई में गिरी बस, चारो तरफ बिछी लाशे
आज भी धरती पर एक स्थान विद्यमान है जहां शिव के क्रोध के प्रमाण मिलते हैं। कहा जाता है कि शिव के क्रोध के कारण आज तक उस स्थान का पानी उबल रहा है।
मनाली पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। यहां के नजारे, वादियां किसी काे भी मोह लेते हैं लेकिन मनाली में एक धार्मिक जगह ऐसी है जहां बर्फीली ठण्ड में भी पानी उबलता रहता है। आमतौर पर मनाली एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। हर साल लाखों की तादाद में देश-दुनिया से लोग यहां घूमने आते हैं। लोग धार्मिक यात्राओं के लिए भी यहां आते हैं। यहां एक प्राचीन मान्यता कथा शेषनाग और भगवान शिव से जुड़ी है।कहा जाता है कि शिव के क्रोध से बचने के लिए शेषनाग ने एक दुर्लभ मणि फेंकी थी। इससे यहां एक अद्भुत चमत्कार हुआ। यहां मणिकर्ण में एक जगह ऐसी है जहां उबलता हुआ पानी बाहर निकलता है। मान्यता है कि यहीं पर शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचाव के लिए वह मणि फेंकी थी।शेषनाग ने मणि क्यों फेंकी इसके पीछे भी प्राचीन कथा है। ऐसी मान्यता है कि मणिकर्ण स्थान पर भगवान शिव और मां पार्वती ने हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। एक बार जब मां पार्वती जल स्रोत में स्नान कर रही थीं तब उनके कानों में लगे आभूषणों की एक दुर्लभ मणि पानी में गिर गई थी।भगवान शिव ने अपने गणों को इस मणि को ढूंढने को कहा लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मणि नहीं मिली। इससे भगवान शिव बेहद नाराज हो गए। यह देख देवता भी कांप उठे। शिव का क्रोध ऐसा बढ़ा कि उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोला तो नैना देवी नाम से शक्ति का उद्भव हुआ। नैना देवी ने अपनी दिव्य दृष्टि से बताया कि यह दुर्लभ मणि शेष नाग के पास है जो पाताल लोक में हैं।देवताओं और शिव के गणों ने शेष नाग से निवेदन किया कि वे मणि मां पार्वती को लौटा दें। शेष नाग ने मणि लौटा दी और जोर से फुंकार भरी।इससे उस स्थान पर गर्म पानी की धारा निकली। मां पार्वती को मणि मिल गई। कहा जाता है कि शिव के क्रोध से डरकर शेष नाग ने मणि लौटाते वक्त जो फुंकार मारी, उसके बाद आज भी यहां बिल्कुल गर्म पानी की धारा निकल रही है।
इसका पानी इतना गर्म है कि आलू, चावल और दूसरे खाद्यान्न मिनटों में पक जाते हैं। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और शिव की कृपा से कुदरत के इस अद्भुत नजारे को नमस्कार करते हैं।