असम में शिकारियों की नाक में दम करने वाले K9 यूनिट के सदस्य जोरबा का निधन हो गया। पशु प्रेमियों और आरण्यक (भारत के पहले बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन) ने शिकारियों का शिकार करने वाले डॉग के निधन पर शोक व्यक्त किया है। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते जोरबा ने मंगलवार रात अंतिम सांस ली
वाइल्डलाइफ क्राइम एक्सपर्ट डॉक्टर विभव कुमार तालुकदार कहते हैं, ‘गैंडों के शिकार की घटना के बाद जोरबा समेत हमारे के9 स्क्वॉड ने वन अधिकारियों की शिकारियों के निकलने के रास्ते पता करने में मदद की, जिसके चलते पुलिस और वन अधिकारियों ने दोषियों को गिरफ्तार किया। जोरबा का योगदान हमेशा याद किया जाएगा और हम हमेशा उसे कंजर्वेशन हीरो के तौर पर याद रखेंगे।’
खास बात है कि बेल्जियन मेलिनॉय ब्रीड का जोरबा पहला ऐसा डॉग था, जिसे देश में शिकारियों के शिकार में लगाया गया था। 8 सालों की सेवा के दौरान जोरबा ने काजिरंगा नेशनल पार्क, पोबितोरा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और ओरंग नेशनल पार्क में तैनात रहा। इस दौरान वह सक्रिय रूप से शिकारियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों में सक्रिय रहा।
जोरबा के पहले हैंडलर अनिल कुमार दास कहते हैं, ‘जोरबा के साथ मेरी कई यादें हैं और वह हमेशा मेरे लिए प्रेरणा रहेगा।’
आरण्यक के के9 स्क्वॉड में इस नस्ल के 6 डॉग्स हैं। बीते 8 सालों में जोरबा ने 60 से ज्यादा शिकारियों को पकड़ने में अधिकारियों की मदद की है। साल 2019 में रिटायर होने के बाद वह आरण्यक के9 यूनिट सेंटर के इंटेंसिव केयर में था। यूनिट के एक सदस्य का कहना है, ‘अधिकांश डॉग्स से शायद थोड़ा ज्यादा ही जोरबा को गेंद से खेलना पसंद था। हीरों के साथ पेशेवर संबंध के अलावा, मैं उसके साथ खेलना बहुत मिस करूंगा।’