पुणे और नासिक में शराब की होम डिलीवरी के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सुनवाई में कहा कि शराब आवश्यक चीज नहीं है, इसलिए हमें इस पर कोई जरूरी आदेश क्यों देना चाहिए? महाराष्ट्र वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन की तरफ से यह चाचिका दायर की गई थी जिस पर कोर्ट ने फैसला देने से इनकार कर दिया.
जुलाई महीने की शुरुआत में भी सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसी ही याचिका दायर की गई थी. याचिका में लॉकडाउन के बीच खोली गई शराब की दुकानों को फिर से बंद कराने की मांग की गई थी.
याचिका में कहा गया कि दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियम और बाकी मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है, इसलिए दुकानें फिर से बंद करने का आदेश दिया जाए. इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु हाईकोर्ट के उस फैसले को बदल दिया जिसमें शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह तमिलनाडु सरकार पर निर्भर करता है कि प्रदेश में शराब कैसे बेचना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, शराब बिक्री का काम कैसे अमल में लाया जाएगा, यह कोर्ट तय नहीं कर सकता. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.
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