शरद पवार ने एनसीपी प्रमुख का पद छोड़ने का अपना फैसला शुक्रवार को वापस ले लिया। उनके इस कदम से भतीजे अजीत पवार की उम्मीदों को झटका लगा है। केवल वही एक ऐसा नेता थे जिन्होंने पवार के इस्तीफे को स्वीकार कर लेने की बात कही थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में उठा नेतृत्व का संकट शुक्रवार को खत्म हो गया। शरद पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। अब वे ही एनसीपी की कमान संभालेंगे। उनके इस कदम को भतीजे अजित पवार के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, अजित ही केवल एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पवार के इस्तीफे को स्वीकार कर लेना चाहिए। इसके पीछे उन्होंने उनके उम्र और स्वास्थ्य का हवाला दिया था।
पवार ने दो मई को एनसीपी प्रमुख का पद छोड़ने का किया था एलान
शुक्रवार को हुई थी, जिसमें से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई थी, जिसके बाद पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने कहा, ”मैं एनसीपी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का अपमान नहीं कर सकता। इसलिए मैं अपना इस्तीफा वापस लेता हूं।” पवार ने दो मई को अपनी आत्मकथा के विमोचन के मौके पर अचानक एनसीपी प्रमुख का पद छोड़ने का एलान कर दिया था, जिसके बाद से नेता और कार्यकर्ता लगातार उनसे पद पर बने रहने का आग्रह कर रहे थे।
अजित को भाजपा ने दिया सीएम पद का आफर
दरअसल, कुछ हफ्ते पहले प्रवर्तन निदेशालय के अजित पवार को क्लीन चिट देने के बाद यह कहा जाने लगा कि वे कुछ एनसीपी विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उन्हें भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री बनने का आफर भी दिया गया है। शरद पवार से भी पार्टी के कुछ नेताओं ने भाजपा का समर्थन करने की बात कही थी, लेकिन पवार ने स्पष्ट कह दिया कि हम भाजपा के साथ नहीं जाएंगे।
पवार के इमोशनल कार्ड ने भाजपा के मंसूबों पर फेरा पानी
कहा जाता है कि शिवसेना को तोड़ने के बाद भाजपा की नजरें एनसीपी को तोड़ने पर थी, लेकिन शरद पवार के इमोशनल कार्ड ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया। एनसीपी कार्यकर्ताओं की सहानुभूति अभी भी पवार के साथ है।