वेश्‍यावृत्ति से जुड़े 30 गंभीर राज, जानकर आपके उड़ जायेगें ​होश…

वेश्‍यावृत्ति के पीछे सबसे बड़ा कारण क्‍या है, तो अधिकांश लोगों का जवाब होता है- यौन इच्‍छा। यदि आपका भी यही जवाब है, तो हम आपके सामने जो 30 तथ्‍य प्रस्‍तुत करने जा रहे हैं, उन्‍हें पढ़ने के बाद आपका जवाब निश्चित तौर पर बदल जायेगा। इसके बाद यदि आप किसी रेड-लाइट एरिया से निकलेंगे, तो ये तथ्‍य आपको जरूर याद आयेंगे।


इसके बाद यदि आप किसी सेक्‍स रैक्‍ट, देह व्‍यापार या वेश्‍यावृत्ति से जुड़ी खबरें पढ़ेंगे, तो आपको ये 40 तथ्‍य जरूर याद आयेंगे। साथ ही आपके मन में उन लड़कियों व महिलाओं के प्रति दया आयेगी, जो इस दलदल में फंस चुकी हैं। हमने ये तथ्‍य अलग-अलग एनजीओ व विमेन्‍स स्‍टडीज़ इंस्‍टीट्यूट्स द्वारा किये गये अध्‍ययनों की रिपोर्ट से प्राप्‍त किये हैं। हम तथ्‍यों के साथ आपको जरूर बतायेंगे कि हमें यह रिपोर्ट कहां से प्राप्‍त हुई। स्‍लाइडर में देखें वेश्‍यावृत्ति के 40 कड़वे सच।

सबसे बड़ी सेक्‍स इंडस्‍ट्री मुंबई राष्‍ट्रीय एड्स कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई देश की सबसे बड़ी सेक्‍स इंडस्‍ट्री है। यहां पर 2 लाख से ज्‍यादा वेश्‍याएं हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि यहां 50 फीसदी से अधिक वेश्‍याएं एचआईवी से ग्रसित हैं। वर्ष 2000 में मुंबई में वेश्‍याओं की संख्‍या 1 लाख थी। हर साल 10 फीसदी बढ़ोत्‍तरी यह संख्‍या हर साल 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है। दे

ह व्‍यापार के मामले में कोलकाता दूसरे नंबर पर है। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार मुंबई एशिया की सबसे बड़ी सेक्‍स इंडस्‍ट्री है। वेश्‍यावृत्ति का कड़वा इतिहास भारत में वेश्‍यावृत्ति का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। प्राचीन भारत में ‘नगरवधु’ हुआ करती थीं। दूसरीं सदी में ईसापूर्व में लिखी गई संस्‍कृत की कहानी मृचाकाटिका में वैशाली की नगरवधु इसी काम के लिये जानी जाती है।

वेश्‍यावृत्ति का इतिहास 17वीं सदी में 17वीं और 16वीं सदी में गोवा में पुर्तगाली कालोनी हुआ करती थी। यहां पर जापानी दासियां हुआ करती थीं, जिनमें अधिकांश जापान की महिलाएं व कम उम्र की लड़कियां होती थीं, जिन्‍हें दासी बनाकर उनके साथ सेक्‍स किया जाता था। पुर्तगाली व्‍यापारी इन लड़कियों को जापान से पानी के जहाज में भारत लाते थे। यही कारण है कि सदियों से गोवा देह व्‍यापार का गढ़ बना हुआ है।

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19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों ने यूरोप और जापान से लड़कियों को लेकर आते थे और भारत में काम कर रहीं अंग्रेजों की सेनाओं में सैनिकों को यौन सुख पहुंचाने का दबाव डालने लगे। ये वेश्‍याएं सैनिकों को यौन सुख प्रदान करती थीं। यह भी एक बड़ा कारण है कि हजारों की संख्‍या में भारतीय लोग अंग्रेजी सेना में यौन सुख के लालच में भर्ती हुए। अंग्रेज़ शासन में वेश्‍यावृत्ति 20वीं सदी के आते-आते क्रूर अंग्रेजों ने भरतीय लड़कियों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया। यूरोप से आयीं वेश्‍याएं जब अपनी सेवाएं देने में अक्षम हो जातीं, तो उन्‍हें छावनी में सैनिकों की सेवा करने व उनके लिये भोजन पकाने के लिये तैनात कर दिया जाता।

18 की होने से पहले ही बनीं वेश्‍या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की 2007 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 30 लाख से ज्‍यादा फीमेल सेक्‍स वर्कर हैं, जिनमें 35.47 सेक्‍स वर्कर 18 साल की आयु से पहले ही वेश्‍या बन गईं। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट ने और भी खतरनाक आंकड़े प्रस्‍तुत किये। इस रिपोर्ट के अनुसार पूरे भारत में 2 करोड़ सेक्‍स वर्कर हैं। जिनमें सिर्फ मुंबई में ही 2 लाख हैं। 1997 से 2004 के बीच वेश्‍याओं की संख्‍या में 50 फीसदी इजाफा हुआ। एचआईवी संक्रमित हो रहा सूरत एड्स कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात का सूरत शहर तेजी से एचआईवी की चपेट में आ रहा है। 1992 में यहां पर कुल वेश्‍याओं में 17 प्रतिशत एचआईवी से ग्रसित थीं, वहीं सन 2000 में बढ़कर 43 प्रतिशत हो गईं। 2008 की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2008 में यहां की कुल वेश्‍याओं में 58 फीसदी एचआईवी संक्रमित पायी गईं।

यानी सूरत में वेश्‍यावृत्ति के जाल में फंसने का मतलब एड्स को न्‍योता देना है। महाराष्‍ट्र-कर्नाटक में देवदासी बेल्‍ट आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि महाराष्‍ट्र और कर्नाटक के बॉर्डर पर एक के बाद एक गांव व कस्‍बे हैं, जहां वेश्‍यावृत्ति का व्‍यापार फलफूल रहा है। इन इलाकों को ‘देवदासी बेल्‍ट’ भी कहा जाता है। देश का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया कोलकाता में देश का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया कोलकाता का सोनागाची इलाका है। दूसरे नंबर पर मुंबई का कामतिपुरा, फिर दिल्‍ली की जीबी रोड, आगरा का कश्‍मीरी मार्केट, ग्‍वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेट हैं। इन स्‍थानों पर लाखों लड़कियां हर रोज बिस्‍तर पर परोसी जाती हैं।

छोटे शहरों में रेडलाइट एरिया यह कहना गलत नहीं होगा कि सेक्‍स टूरिज्‍म के बड़े स्‍पॉट माने जाते हैं। इनके अलावा अगर 2-टियर व 3-टियर शहरों की बात करें तो वाराणसी का मडुआडिया, सहारनपुर का नक्‍कासा बाजार, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुज स्‍थान( आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, इलाहाबाद का मीरागंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाजार इसी काम के लिये फेमस हैं। 12 लाख से ज्‍यादा बच्चियां हैं वेश्‍याएं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में 12 लाख से ज्‍यादा बच्चियां वेश्‍यावृत्ति के कार्य में लिप्‍त हैं।

यह खुलासा देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्‍यूरो की रिपोर्ट में हुआ, जो मई 2009 में प्रकाशित की गई। 10 करोड़ महिलाएं वेश्‍यावृत्ति में सीबीआई की रिपोर्ट, जिसे गृह सचिव मधुकर गुप्‍ता ने जारी किया उसके अनुसार देश में 10 करोड़ महिलाएं वेश्‍यावृत्ति में फंस चुकी हैं। इनमें 40 फीसदी बच्चियां शामिल हैं। 90 प्रतिशत लड़कियां देश के अंदर बेची जाती हैं सीबीआई की रिपोर्ट 2009 के अनुसार देश में देह व्‍यापार में लिप्‍त लड़कियों में से 90 प्रतिशत तो देश के अंदर ही एक कोने से दूसरे कोने में ले जाकर बेच दी जाती हैं।

देवस्‍थानों पर बढ़ रही वेश्‍यावृत्ति सीबीआई की रिपोर्ट 2009 के अनुसार देश के तमाम देवस्‍थानों पर जहां लाखों की संख्‍या में तीर्थयात्री ईश्‍वर के विभिन्‍न रूपों के दर्शन करने आते हैं, वहां पर वेश्‍यावृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यह चलन वर्ष 2000 के बाद से तेजी से बढ़ा है। तत्‍कालीन गृह सचिव मधुकर गुप्‍ता के अनुसार सीबीआई अभी तक आंकड़े नहीं जुटा पायी है कि कितनी लड़कियां देवस्‍थानों के आस-पास बने होटलों, धर्मशालाओं व गेस्‍ट हाउस में अपनी यौन सेवाएं दे रही हैं।

बंगाल की चुकरी प्रथा सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि हमारे देश के कई हिस्‍सों में वेश्‍यावृत्ति को बढ़ावा देने वाली कई प्रथाएं चली आ रही हैं। उदाहरण के तौर पर बंगाल की चुकरी प्रथा ही ले लीजिये, जिसके अंतर्गत यदि कोई व्‍यक्ति कर्ज चुकाने में नाकाम रहता है, तो उसके परिवार की महिलाओं को अपना शरीर देकर कीमत चुकानी होती है। इसके अंतर्गत एक साल तक लड़की को वेश्‍या के रूप में मुफ्त में काम करना होता है। इसके लिये 1976 में में सरकारी कानून आया, जिसके अंतर्गत तब से अब तक करीब 2,850,000 महिलाओं को कर्ज चुका कर छुड़ाया जा चुका है। पविार के पालन पोषण के लिये बनीं वेश्‍या वेश्‍यावृत्ति का एक और कड़वा सच यह है कि जब परिवार में आय के साधन बंद हो जाते हैं, तब परिवार की सबसे बड़ी लड़की यह राह चुनती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार वेश्‍यावृत्ति में आयीं महिलाओं में 22 फीसदी सिर्फ इसी कारण आयीं। 2 लाख नेपाली लड़कियां वेश्‍यावृत्ति में नेपाल की एनजीओ मैती की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 2 लाख नेपाली लड़कियां देह व्‍यापार में लिप्‍त हैं। इनमें से अधिकांश 14 साल की उम्र से कम हैं। वर्जिन नेपाली लड़कियों की डिमांड एनजीओ मैती की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लोगों में नेपाल से लायी गईं वर्जिन लड़कियां ज्‍यादा पसंद की जाती हैं। उनके दाम भी काफी ऊंचे लगते हैं। यही कारण है कि नेपाल से लड़कियों को बहला फुसला कर या अगवा कर के भारत लाये जाने का चलन बढ़ रहा है। 5.1 % मां-बाप के कहने पर बनीं वेश्‍या 1988 में ऑल बंगाल विमेन यूनियन द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में लड़कियों के वेश्‍यावृत्ति में आने के कारणों का खुलासा किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 5.1 फीसदी महिलाएं माता-पिता के कहने पर इस धंधे में आयीं। 13% दोस्‍तों के चक्‍कर में बनीं वेश्‍या सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 13.8 प्रतिशत लड़कियां दोस्‍तों के चक्‍कर में पड़कर वेश्‍यावृत्ति में आयीं।

इसमें खास आकर्षण पैसा कमाना था। 22 प्रतिशत महिलाएं अपने ही इलाकों में 22.6 प्रतिश महिलाएं अपने अपने ही इलाकों में अपना जिस्‍म बेचती हैं। यानी ज्‍यादातर लोगों को उनके बारे में पता होता है। दलाल के चक्‍कर में 23 प्रतिशत महिलाएं अंजान व्‍यक्ति अथवा दलाल के चक्‍कर में फंस कर वेश्‍यावृत्ति में आयीं। 13 प्रतिशत महिलाएं रिश्‍तेदार के चक्‍कर में रिपोर्ट के अनुसार 13 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं, जो अपनी बहन या अन्‍य महिला रिश्‍तेदार के इस धंधे में होने के बाद दाखिल हुर्इं। उन्‍हीं से प्रेरित होकर। 10 प्रतिशत को मिला प्‍यार में धोखा रिपोर्ट के अनुसार 10 फीसदी महिलाएं प्‍यार में धोखा खाने पर इस व्‍यापार में आयीं। या फिर उन्‍हें शादी का झूठा प्रस्‍ताव देकर इस प्रोफेशन में धकेल दिया गया। 2.5 प्रतिशत महिलाएं अपने पति की सहमति से रिपोर्ट के मुताबिक 1.5 प्रतिशत महिलाएं अपने पति की सहमति से इस व्‍यापार में उतरीं। यह रिपोट्र पश्चिम बंगाल पर आधारित है। इसे भारत के परिप्रेक्ष्‍य में देखें तो आंकड़े थोड़े ऊपर नीचे हो सकते हैं। जिगोलो सेवाएं भारत में महिलाओं के बीच वेश्‍यावृत्ति तो सदियों से चली आ रही है, लेकिन अब पुरुष भी इस धंधे में पड़ने लगे हैं। ऐसे पुरुषों को जिगोलो कहा जाता है।

3 हजार तक फीस भारत में जिगोलो की सेवाएं दिल्‍ली में तेजी से बढ़ रही है। दिल्‍ली में एक जिगोलो एक रात के 1 से 3 हजार रुपए तक लेता है। हालांकि ये सभी कंडोम का प्रयोग करते हैं। हैंडसम लड़के बन रहे जिगोलो पैसा कमाने की होड़ में डिग्री कॉलेजों के लड़के इस व्‍यापार में लिप्‍त हो रहे हैं। इन लड़कों से सेवाएं लेने वाली महिलाएं भी बड़े घरानों की होती हैं, जो एक बार के 3 हजार रुपए तक देती हैं।

दिल्‍ली में करीब 20 एजेंसियां हैं, जो जिगोलो की सप्‍लाई करती हैं। मिडिल क्‍लास क्‍लब में ज्‍यादा जिगोलो का ट्रेंड दिल्‍ली, मुंबई, चंडीगढ़ आदि में स्थिति मिडिल क्‍लास नाइट क्‍लबों में तेजी से बढ़ा है। इनकी सेवाएं समलैंगिक भी लेते हैं। कंडोम का प्रयोग करते हैं 1992 में एक सर्वे में पाया गया कि मात्र 27 प्रतिशत सेक्‍स वर्कर ही कंडोम का प्रयोग करते हैं, जबकि 1995 में यह संख्‍या 82 फीसती तक पहुंच गई और 2011 की रिपोर्ट के अनुसार 86 फीसदी सेक्‍स वर्कर कंडोम का प्रयोग करते हैं। यानी जितनी तेजी से यह व्‍यापार बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से एड्स संबंधी जानकारियां भी।

घरेलू हिंसा बीबीसी वर्ल्‍ड ट्रस्‍ट के द्वारा कराये गये एक अध्‍ययन के अनुसार घरेलू हिंसा भी वेश्‍यावृत्ति में जाने के लिये लड़की को प्रेरित करती है। शुरुआत में जब घर से गालीगलौज मिलती है और माता-पिता, भाई बहन साथ नहीं देते, ऐसी स्थिति में लड़कियां यह रास्‍ता अख्तियार करती हैं। क्‍या कहता है नियम ऑल इंडिया सप्रेशन ऑफ इम्‍मॉरल ट्रैफिक एक्‍ट के अनुसार भारत में वेश्‍यावत्ति को धीरे-धीरे अपराध के दायरे में लाने के प्रयास चल रहे हैं।

कॉलगर्ल के नंबर एआईएसआईटीए के अंतर्गत कोई भी वेश्‍या अपना फोन नंबर सार्वजनिक स्‍थल पर प्रकाशित नहीं कर सकती है। इसके लिये दह महीने की जेल अथवा जुर्माना हो सकता है। सेक्‍स करता पकड़ा जाता यदि कोई व्‍यक्ति 18 साल से कम उम्र की वेश्‍या के साथ सेक्‍स करता पकड़ा जाता है तो उसे 7 से 10 वर्ष की कैद हो सकती है। 30 रुपए से शुरू होती है कीमत भारत में कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर वेश्‍यावृत्ति का स्‍तर बहुत की बुरा है। ऐसी जगहों पर 30 रुपए से वेश्‍याओं की कीमत की शुरुआत होती है। ऐसा ज्‍यादातर गांव व छोटे कस्‍बों में होता है और यहीं पर असुरक्षित यौन संबंध ज्‍यादा बनते हैं।

चाइल्‍ड प्रॉस्टिट्यूट्स एक रिपोर्ट के अनुसार 25 फीसदी चाइल्‍ड प्रॉस्टिट्यूट्स या तो अगवा कर के लायी गई होती हैं या उन्‍हें खरीद कर लाया जाता है। वहीं 18 फीसदी वेशयाओं का तो 13 से 18 साल की उम्र में ही कौमार्य भंग हो जाता है। बलात्‍कार के बाद बेच दी जाती नेशनल क्राइम ब्‍यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 6 प्रतिशत लड़कियां बलात्‍कार के बाद बेच दी जाती हैं, उसके बाद देह व्‍यापार के धंधे में आ जाती हैं।

बेच दिया 8 प्रशित वेशयाओं ने बताया कि उन्‍हें उनके पिता ने बड़े व्‍यापारियों के हाथों बेच दिया, जिस वजह से वो आगे चलकर इस व्‍यापार में आयीं। 50 मिलियन तो सिर्फ भारत से दुनिया भर में करीब 200 मिलियन वेश्‍याएं यौन संक्रमित बीमारियों से ग्रसित हैं, जिनमें से 50 मिलियन तो सिर्फ भारत से आती हैं।

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