यहां आने के बाद एक महिला का जीवन दो हिस्सों में बंट जाता है। शरीर बेच कर पैसा कमाने की बात तो आप सब जानते हैं, लेकिन इनके जीवन का एक दूसरा हिस्सा और भी है, जिसमें ये अपने शरीर को सुंदर बनाने के लिये कई प्रकार की पीड़ा सहती हैं।
हम बात करने जा रहे हैं, उस हेल्थ व ब्यूटी ट्रीटमेंट की जो वेश्याओं को दिया जाता है। ये ऐसा टीटमेंट है, जिससे कैंसर तक का खतरा पैदा हो सकता है। इस तरह से दिखती हैं सेक्सकर्मी ‘ह्रष्ट- पुष्ट’ सेक्सकर्मियों को बेहतर दिखाने के लिए ओराडेक्सॉन नाम का स्टेरॉयड इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य तौर पर ये स्टेरॉयड किसान अपनी गायों को हृष्ट पुष्ट बनाने के लिए करते हैं। जिसे गर इंसानों के शरीर में प्रयोग किया जाए तो काफी दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं, यहां तक कैंसर भी हो सकता है। बताया जाता है कि करीबन 90 फीसदी सेक्सकर्मी इसका प्रयोग करते हैं।
अगर उम्र की बात की जाए तो 15 वर्ष से 35 वर्ष की औरतें इसका इस्तेमाल करती हैं। सुंदरता के लिए कराती हैं ‘सर्जरी’ कस्टमर को लुभाने के लिए सेक्स वर्कर्स अपने फीगर वगैहर का काफी ख्याल रखती हैं। नोज़ और चिन की सर्जरी उनमें महत्वपूर्ण है। उम्र के ढलते पड़ाव पर यह काम ज्यादा कराया जाता है, ताकि जल्दी रिटायरमेंट नहीं हो जाये। ब्रेस्ट सर्जरी का भी लेती हैं सहारा खुद को बेहतर दिखाने के लिए सेक्स वर्कर ब्रेस्ट सर्जरी भी कराने लगी हैं।
सेक्स के दौरान लड़कियां क्यों निकालती ऐसी आवाजे उह, आह, आउच, जानकर आप हो जायेगें पागल….
जिससे वे आकर्षक लग सकें एवं पुरूषों को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। इन बातों का रखती हैं ख्याल माना जाता है कि सेक्स वर्कर खास तौर पर ख्याल रखती हैं कि वे जरूरी प्रिस्क्रिब्शन जरूरी समय पर लेती रहें। क्योंकि ऐसा न करने पर उनके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। एचआईवी का खतरा वेश्याओं में एचआईवी का खतरा हमेशा बना रहता है। क्योंकि कब कौन सा ग्राहक एचआईवी वायरस लेकर आ जाये, इन्हें खुद नहीं पता होता है।
एक महिला के साथ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मुंबई में 2 लाख से ज्यादा वेश्याएं हैं और उनमें से 50 फीसदी एचआईवी पॉजिटिव हैं। लोग वेश्याओं को समझते हैं ‘डस्टबिन’ जेएनपीजी, लखनऊ में मानव शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. आलोक चांटिया ने बताया कि पुरुष में प्रत्येक 12 घंटे में नया जैविक द्रव तैयार हो जाता है। जिसकी वजह से वह संभोग के लिए आतुर होता है। ऐसे में तमाम प्रतिबंधों के बावजूद वह सेक्सवर्कर का सहारा लेता है। दरअसल यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि लोगों ने वेश्याओं को डस्टबिन बना दिया है। ऐसे में हर रोज खूबसूरत दिखना सेक्सवर्कर्स की मजबूरी है। शायद तभी ये घातक रसायनों का सहारा लेती हैं।