विश्व में गोबर से बनी पहली चरण पादुका अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हुई लांच

गोबर की चप्पलें अब मानसिक बीमारियों और रक्तचाप की समस्या से बचाएगी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सरकारी प्रदर्शनी के पशुपालन विभाग के स्टाल में इस विशेष चप्पल को प्रदर्शित किया गया है।
इसे वैदिक चरण पादुका का नाम दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि विश्व में गोबर से बनी यह पहली चरण पादुका है। इसे पहनने पर व्यक्ति के बीपी का बढ़ना और कम होना नियंत्रित रहेगा।

मांसपेशियों में खिंचाव से मुक्ति मिलेगी और मानसिक बीमारियों से बचाव होने के अलावा बेचैनी, चिड़चिड़ापन में भी गोबर से बनी पादुकाएं कारगर साबित होंगी। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क दिया गया है कि गोबर में जीवाणुनाशक और विषाणुहर शक्ति विद्यमान है। आधुनिक विज्ञान ने भी गोबर के इस गुण को माना है।

यहां तक कि भीषण रोगकारक बैक्टीरिया-वायरस के लिए तो गोबर नष्ट करने में कारगर है। इसी गुण के कारण कुछ वर्षों पूर्व इटली के वैज्ञानिकों ने एक शोध में कहा था कि टीबी सेनिटोरियम में कम से कम एक हिस्सा तो गोबर से लीपा हुआ रखा जाए तो टीबी कीटाणु अपेक्षाकृत तेजी से नष्ट होते हैं।
पशुपालन विभाग के काउंटर में बैठे कर्ण सिंह ने बताया कि उनके स्टॉल में गोबर यानी वैदिक प्लॉस्टर से चरण पादुका को तैयार किया गया है। जिसे अब तक विश्व की पहली वैदिक चरण पादुका का नाम दिया गया है। इसे पहनने वाले व्यक्ति को विभिन्न तरह के लाभ मिलते हैं। और रोगों से निजात मिलेगी।

चरण पादुका को बनाने के लिए गोबर को छानकर उसमें नेचुरल ऑयल को मिलाया गया है। सूखने  पर इस आयल मिश्रित गोबर को मशीन में प्रेस करके चरण पादुका का आकार दिया गया है। इसमें एचडीएम बोर्ड को तलवे के रूप में प्रयोग किया गया है।

गोबर से निर्मित वैदिक चरण पादुका की मांग को देखते हुए इसकी बाजारी कीमत 700 रुपये रखी गई है। हालांकि स्टॉल में इसे मात्र सैंपल के लिए ही रखा है। मांग बढ़ने पर इसे शीघ्र ही बाजार में उतारा जाएगा। स्टाल में गोबर से निर्मित उत्पाद पशुपालन विभाग के सौजन्य से पड्डल मेले में लगाए गए।

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